शिमला में राज्य स्तरीय पहाड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन

शिमला, 04 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में एक नवम्बर को पहाड़ी दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग ने आज गेयटी थियेटर में राज्य स्तरीय पहाड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के लगभग 30 साहित्यकारों ने भाग लिया।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि पद्मश्री विद्यानंद सरैक रहे, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रमेश मस्ताना ने की। विभाग की उप निदेशक कुसुम संघाईक ने कार्यक्रम की जानकारी साझा करते हुए मुख्य अतिथि और अन्य विद्वानों का स्वागत किया। मंच का संचालन साहित्यकार त्रिलोक सूर्यवंशी ने किया।

इस अवसर पर मेश मस्ताना द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'कांगड़ी-प्हाड़ी-च प्रकाशित साहित्य: रीत-परंपरा कनैं त्याह्स' का विमोचन मुख्य अतिथि और विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने किया।

कविता पाठ में शामिल कवियों ने पहाड़ी भाषा और हिमाचली संस्कृति पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। शिमला से भूपसिंह रंजन ने 'बोलियां मिठड़ी पहाड़ारियो', उमा ठाकुर ने 'हमारी संस्कृति हमारे संस्कार', मंडी से रूपेश्वरी ने 'बारहमासा', और अन्य कवियों ने विभिन्न विषयों पर कविताएँ पढ़ीं।

मुख्य अतिथि विद्यानंद सरैक ने कवियों की रचनाओं की सराहना की और उन्हें सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा।

विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने सभी विद्वानों से आग्रह किया कि पहाड़ी भाषा का प्रचार-प्रसार करना सभी का दायित्व है। उन्होंने पहाड़ी में लेखन के साथ-साथ इसे व्यवहारिक रूप से उपयोग में लाने पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि मंगलवार को लेखक गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसमें प्रदेश भर से आमंत्रित विद्वान चर्चा में भाग लेंगे

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला

   

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