लोकविरासत महोत्सव ने जम्मू में लुप्त हो रही लोक कलाओं को पुनर्जीवित किया

लोकविरासत महोत्सव ने जम्मू में लुप्त हो रही लोक कलाओं को पुनर्जीवित किया

जम्मू, 4 नवंबर (हि.स.)। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी), पटियाला ने जेएंडके कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) के साथ साझेदारी में, जम्मू के के.एल. सैगल हॉल में लोकविरासत - लुप्त हो रही लोक कलाओं का महोत्सव का सफलतापूर्वक आयोजन किया। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा समर्थित इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की लुप्त हो रही लोक कलाओं को संरक्षित करना और बढ़ावा देना था साथ ही जम्मू और कश्मीर तथा उससे आगे की सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाना था।

एनजेडसीसी के निदेशक मोहम्मद फुरकान खान ने लोक परंपराओं को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया जिसे उन्होंने हमारी सांस्कृतिक पहचान की रीढ़ बताया। उन्होंने लोकविरासत को इन कला रूपों को पुनर्जीवित करने और उन्हें भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में रेखांकित किया।

जेकेएएसीएल की सचिव हरविंदर कौर ने सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि लोकविरासत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जेकेएएसीएल जम्मू और कश्मीर में गुरुशिष्य परम्परा योजना शुरू करने की योजना बना रहा है, जिससे पारंपरिक कलाओं में मार्गदर्शन और कौशल हस्तांतरण को बढ़ावा मिलेगा।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 2022-23 के लिए गुरुशिष्य परम्परा योजना के प्राप्तकर्ताओं द्वारा मनमोहक प्रदर्शन था जिसमें कलाकारों ने क्षेत्र की लोक कलाओं को कुशलता से प्रस्तुत किया। कलाकारों में उधमपुर की वी.डी. सुरिष्टा ने गीतरू का प्रदर्शन किया; जम्मू के जे.आर. शर्मा ने जम्मू के लोक नृत्य प्रस्तुत किए; राकेश कुमार ने डोगरी लोक नृत्य प्रस्तुत किए; रमेश कुमार ने लोकगीत और लोकगीत प्रस्तुत किए; कुलदीप सप्रू ने सूफी और लोक संगीत प्रस्तुत किया; विजय धर ने लोक रंगमंच प्रस्तुत किया; और प्रेम नाथ राधे ने चिंजान डोगरी लोकगीत प्रस्तुत किए। इस महोत्सव में पद्मश्री रुमालो राम, एक प्रतिष्ठित डोगरी लोक कलाकार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और लोक संस्कृति के संरक्षण में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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