कुम्भ में पंचेद्रिय स्नान का विधान : डॉ निलिम्प त्रिपाठी

प्रयागराज, 03 दिसम्बर (हि.स.)। कुम्भ हमारी समग्र चेतना का प्रतीक है। जीवन समग्रता का नाम है। कुम्भ में पंचेंद्रिय स्नान का विधान है, जो प्रयागराज की त्रिवेणी में फलीभूत होता है। उक्त विचार महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने व्यक्त किया।

डॉ त्रिपाठी सोमवार को दांदूपुर स्थित समदरिया स्कूल में कुम्भ माहात्म्य विषयक एकल व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि माघ मास में सम्पूर्ण विश्व प्रयागराज आकर मुक्ति का मार्ग खोजता है। त्रिवेणी संगम पर दिव्य स्नान से तन प्रक्षालित कर के मोक्ष की प्राप्ति करता है। जो लोग माता-पिता एवं गुरु को प्रणाम करते हैं वे कभी भाग्यहीन, धनहीन और चरित्रहीन नहीं होते। डॉ त्रिपाठी ने छात्रों को आगाह किया कि वे लोग संगम तट की रेत पर कुछ क्षण एकान्त में शांति और साधना के लिए जाएं। तो जीवन में कभी असफल नहीं होंगे।

निदेशक डॉ मणि शंकर द्विवेदी ने प्रोफ़ेसर डॉक्टर त्रिपाठी का शाल एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया और पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मेजा के प्राचार्य डॉ मधुकराचार्य त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कोऑर्डिनेटर अनुपमा सिंह, कादंबरी द्विवेदी, मोहिनी अग्रहरि, मृणाल जतिन, विनोद यादव, हिमांशु श्रीवास्तव, चेतना त्रिपाठी, राजेश यादव के अतिरिक्त बड़ी संख्या में छात्र-छात्रा एवं अभिभावक गण उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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