किसी भी व्यवसाय में सफलता के लिए अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण : प्रो. अरुण

--पुस्तक ’द डिसिप्लिन ऑफ बिजनेस’ का लोकार्पण समारोह

प्रयागराज, 02 दिसम्बर (हि.स.)। महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग में दिए गए सूत्रों का अनुपालन कर हम किसी भी व्यवसाय में सफल हो सकते हैं। यह आठ सूत्र हैं-यम, नियम आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि। किसी भी व्यवसाय में सफलता के लिए अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण होता है।

उक्त विचार इलाहाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन के तत्वावधान में डॉ अरुण कुमार की पुस्तक ’द डिसिप्लिन ऑफ बिजनेस’ के लोकार्पण समारोह में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रोफेसर डॉ अरुण कुमार ने व्यक्त किया।

सिविल लाइंस स्थित कार्यालय में आयोजित समारोह में प्रो अरूण ने ‘‘व्यवसाय एवं अनुशासन’’ विषय पर आगे कहा कि हमें समझना होगा कि किस तरह से शोर को हम संगीत का रूप दे सकते हैं। जंगल को बगीचे के पत्थर से हम किस तरह मूर्ति गढ़ सकते हैं। मृदा से किस तरह हम बर्तन बना सकते हैं। हमें निर्धारित नियमों का पालन करना होगा। व्यवसाय से जुड़े हुए किसी भी व्यक्ति को यदि हम नुकसान पहुंचाते हैं तो हमारा व्यवसाय सफल नहीं हो पाएगा।

डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि हमारे हमारी इस पुस्तक की मूल धारणा अष्टांग योग की व्याख्या है,जिसके अनुसार एक दूसरे के सहयोग से ही कोई व्यवसाय चलता है और सफल होता है। हमारे व्यवसाय की सफलता के लिए शुद्धता, संतुष्टि, अनुशासन और स्वाध्याय भी जरूरी है। हमें नवीनतम जानकारी लेते रहना चाहिए।

कार्यक्रम के आरम्भ में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ओपी गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। पूर्व अध्यक्ष रवि प्रकाश ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया और धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष एवं पी.आर.ओ डॉ शान्ति चौधरी ने किया। कार्यक्रम में जीके खरे, राजीव माहेश्वरी, डीयू गुप्ता,डॉ. आशुतोष चौधरी और रत्नेश दीक्षित समेत अन्य एएमए के सदस्य उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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