हिमाचल में 435 घाटे वाले बस रूट बंद करेगी सरकार : सीएम
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- Dec 02, 2025
शिमला, 2 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) में युक्तिकरण की प्रक्रिया शुरू कर रही है और इसके तहत 435 घाटे वाले बस रूट बंद किए जाएंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को विधानसभा में विधायक संजय अवस्थी द्वारा पूछे गए प्रश्न पर हस्तक्षेप करते हुए दी। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी पर लगातार बढ़ रहे नुकसान को देखते हुए सरकार कुछ रूट निजी क्षेत्र को देने की दिशा में कदम उठा रही है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि एचआरटीसी को हर माह लगभग 70 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। इस आधार पर सालाना घाटा करीब 840 करोड़ रुपये बैठता है और अब तक निगम पर कुल घाटा 2200 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल परिवहन निगम को 780 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है, लेकिन स्थिति फिर भी चिंता का विषय बनी हुई है। इसी कारण ऐसे रूट बंद किए जा रहे हैं, जहां अतिरिक्त बसें चल रही थीं और यात्रियों की संख्या कम होने से निगम को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा था।
सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार निजी बसों में पास नीति तैयार कर रही है और विद्यार्थियों के कार्ड भी बनाए जा रहे हैं। इससे प्रत्येक रूट पर छात्रों की वास्तविक संख्या का पता चलेगा और आवश्यकता के अनुसार परिवहन निगम की बस सेवाओं को बहाल या समायोजित किया जा सकेगा।
इससे पहले मूल प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि कंधर-बागा बस सेवा को फिलहाल चंडीगढ़ तक ही चलाया जाएगा और इसे दिल्ली तक बहाल नहीं किया जाएगा, क्योंकि चंडीगढ़ से आगे यह रूट घाटे में था और इस मार्ग पर पर्याप्त बसें उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि एचआरटीसी पर इस समय 1300 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है।
विधायक त्रिलोक जम्वाल के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि बिलासपुर से वाया कंदरौर-हरलोग होकर जाहू जाने वाली निगम की बस सेवा को घाटे के कारण बंद किया गया है और इस रूट पर निजी बस सेवा पहले ही शुरू हो चुकी है। अगर यहां छात्रों की संख्या अधिक पाई जाती है तो सरकार इसे दोबारा शुरू करने पर विचार करेगी।
विधायक विनोद कुमार के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि परिवहन निगम में माइलेज पूरी कर चुकी और पुरानी हो चुकी बसों को जल्द बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि शिमला और परवाणु डिपो में मौजूद सरप्लस बसों को सुंदरनगर डिपो में भेजा जाएगा ताकि वहां की बसों की कमी को पूरा किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल गद्दीधार-करसोग बस सेवा को बहाल करने का निर्णय नहीं लिया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा



