जींद : सर्वपितृ अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ में लगाई डुबकी

जींद, 2 अक्टूबर (हि.स.)। वर्ष 2024 की सर्व पितृ अमावस्या पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धा की डुबकी लगाई। ऐसा माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि परिवार के सदस्य भूल जाते हैं। मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर दान करना बहुत भी फलदायी होता है। बुधवार को अमावस्या पर पितरों के तर्पण के लिए पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

तीर्थ पर मेले का भी आयोजन किया गया। ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के प्रबंध किए हुए थे और पुलिसकर्मियों की विशेष डयूटी लगाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पितरों के तर्पण के लिए पांडवों ने भी पिंडारा तीर्थ में ही पिंडदान किए थे। हालांकि पांडव यहां 12 साल तक सोमवती अमावस्या के योग का इंतजार करते रहे, लेकिन यह योग नहीं बना।

ऐसे में कलयुग में भी लोग यहां पिंडदान करते हैं। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि यदि आप किसी कारणवश श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं निकाल पाए तो भी आप सर्व पितृ अमावस्या दिन श्राद्ध संपन्न कर सकते हैं। इस दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को घर पर निमंत्रित करें और उनसे भोजन करने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें। स्नान करके शुद्ध मन से भोजन बनाएं लेकिन भोजन सात्विक होना चाहिए।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन अगर आपके घर कोई भी भिखारी आए, तो उसे दरवाजे से खाली हाथ न लौटाएं। सर्व पितृ अमावस्या के दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए। वरना इससे पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा

   

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