डॉ रामकुमार वर्मा का जीवन हिन्दी भाषा और साहित्य को समर्पित रहा : डॉ राजेन्द्र कुमार

प्रयागराज, 01 अक्टूबर (हि.स.)। डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में डॉ रामकुमार वर्मा स्मृति व्याख्यान हिन्दी विभाग के सभागार में हुआ। मुख्य वक्ता डॉ राजेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ रामकुमार वर्मा प्रसिद्ध कवि, नाटककार, समालोचक एवं आधुनिक हिन्दी एकांकी नाटक के प्रवर्तन साहित्यकार के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। उनका सारा जीवन हिन्दी भाषा और साहित्य को समर्पित रहा।

मंगलवार को आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता ने ’डॉ रामकुमार वर्माः साहित्य का त्रिविधायी व्यक्तित्व’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पठन-पाठन एवं अनेक वर्षों तक अध्यापन कार्य किया। उन्होंने हिन्दी साहित्य की अनेक विधाओं में अनेक बहुमूल्य कृतियों का सृजन किया है। डॉ वर्मा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अतिरिक्त रूस, श्रीलंका, नेपाल, आदि देशों में भी हिन्दी भाषा का अध्यापन किया और विभिन्न भारतीय भाषाओं के पाठ्यक्रम भी निर्धारित किये। हिन्दी भाषा व साहित्य क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय योगदान के लिए 1963 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया। उनकी कविताओं में आदर्शवाद की झलक मिलती है।

डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट की अध्यक्षा डॉ राजलक्ष्मी वर्मा ने कहा कि प्रयागराज वर्माजी की कर्मभूमि रही है। यहीं उनका निजी निवास भवन है जिसका नाम साकेत है। उनकी पूर्ण स्मृति में उनके कुछ शिष्यों के आग्रह पर उन्होंने डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट नामक संस्था बनायी जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। यह ट्रस्ट अत्यंत निष्ठा पूर्वक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य करता रहा है। विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से सहयोग देता है और उन्हें आवश्यकतानुसार पाठ्य पुस्तकें प्रदान करने का दायित्व निभाता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ भूरे लाल ने करते हुए कहा कि डॉ रामकुमार वर्मा पर शोध की अनेक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि डॉ रामकुमार वर्मा प्रसिद्ध कवि, नाटककार, समालोचक एवं आधुनिक हिन्दी एकांकी नाटक के प्रवर्तन साहित्यकार के रूप में स्वीकार किए जाते हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ रामकुमार वर्मा ट्रस्ट की कार्यक्रम समन्वयक डॉ शान्ति चौधरी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो बृजेश कुमार पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में प्रो सुनील विक्रम सिंह, प्रो कुमार बीरेंद्र, प्रो संतोष भदौरिया, प्रो सूर्य नारायण सिंह, प्रो चंदा देवी, प्रो मीता बनर्जी, प्रो अमरेंद्र त्रिपाठी, डॉ विनम्र सेन सिंह, डॉ सुजीत सिंह, प्रो योगेंद्र सिंह, डॉ भरत कुमार समेत हिंदी विभाग के विद्यार्थी एवं शोधार्थी, शिक्षक भारी संख्या में उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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