छठ पर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा भक्ति का सैलाब, दिव्य आभा से देव लोक सा दृश्य 

घाट पर बने मंडप में छठ पूजा करतीं महिला श्रद्धालु।

- मां गंगा की गोद में कमर भर पानी में खड़े होकर श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य

- आठ नवंबर को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का होगा समापन

देहरादून, 07 नवंबर (हि.स.)। कांच ही बांस के बहंगिया, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, बहंगी लचकत जाए..., छठी मैया के ऊंची रे अररीया, ओह पर चढ़लो ना जाए... जैसे मधुर कर्णप्रिय छठ गीतों के बीच राजधानी देहरादून लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा से सराबोर नजर आया। सूर्य उपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन गुरुवार को आस्था, उल्लास और समर्पण का अनूठा समन्वय छठ घाटों पर नजर आया।

टपकेश्वर, मालदेवता, प्रेमनगर, चंद्रबनी, पटेलनगर, हरभजवाला, गुल्लरघाटी, छह नंबर पुलिया, केसरवाला, रिस्पना पुल, रायपुर, ब्रह्मवाला सहित कई घाटों पर मंगल गीत गातीं व्रती महिलाओं की शुरू आमद देर शाम तक चलती रही। हर मंडप में दिव्य आभा से देवलोक सा दृश्य प्रस्फुटित हो रहा था। हर क्षेत्र से बहंगी उठाए परिजन संग पूजा करने जाते श्रद्धालुओं का रेला यह बताने के लिए काफी था कि सभी लोक आस्था के इस पर्व के रंग में रंग चुके हैं। प्रकृति की वंदना का पर्व ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बन चुका है। सूर्योपासना व लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं की आस्था चरम पर थी। दोपहर बाद से ही छठ व्रती महिलाएं व आस्थावान परिजन गाजे-बाजे के साथ सिर पर सूप में पूजा की सामग्री लिए नंगे पांव गंगा घाट पहुंचे।

पश्चिम में अस्त होते भगवान भास्कर की लालिमा देखते ही मां गंगा की गोद में कमर भर पानी में खड़े आस्था से लबरेज हजारों लोगों के हाथ अपने पूज्य को अर्घ्य देने के लिए उठ गए। पानी में खड़ी छठ व्रती महिलाओं ने परिजनों के सुख-समृद्धि की कामना के साथ अस्त होते सूर्य भगवान को परंपरा के अनुरूप अर्घ्य दिया।

छठी मईया के जयघोष के साथ महिलाओं ने सूर्य जैसे तेजस्वी पुत्र प्राप्ति के लिए सूर्य देव का पूजन-अर्चन कर परिवार के मंगल की कामना की। इसके पहले व्रतियों ने पूरे दिन कठिन निर्जला व्रत रखा। छठ पूजा पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूरज की भी वंदना के साथ जल अर्पित किया जाता है।

गुरुवार की शाम घाट पर व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने पहुंची। व्रतियों की टोली छठ उपासना में तल्लीन दिखी। उनकी कठोर तपस्या के साक्षी व सहयोगी बनने को लालायित परिवार के लोग तत्पर थे। घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात थे। सुरक्षा में महिला पुलिसकर्मी भी नजर आईं। इतना ही नहीं, नदी में बैरिकेडिंग कर पानी में एक सीमा तक जाने की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की गई थी। निर्जला व्रत रहकर महिलाओं ने गन्ने के मंडप में गीत गाती छठ मैया की विधिवत पूजा की। इसके बाद महिलाओं ने पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद व्रती वापस वेदी के सामने पहुंचीं। वेदी के सम्मुख कंद, मूल और फल के साथ ही पूजन के लिए तैयार पकवान रख महिलाओं ने आरती उतारी। प्रणाम कर मनवांछित फल मांगा, फिर पति के हाथों प्रसाद ग्रहण किया। घाट पर पहुंचे सभी लोगों ने परिवार के साथ परंपरा का निर्वहन किया। अब शुक्रवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

   

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