शिमला शहर में होगा ड्रोन आधारित एलआईडीएआर सर्वेक्षण, भूस्खलन एवं भूमि धसने की घटनाओं पर होगा अध्ययन

शिमला, 19 अक्टूबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशानुसार शिमला शहर में भूस्खलन और भूमि धंसने की विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ड्रोन आधारित एलआईडीएआर सर्वेक्षण करवाने जा रही है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने इस संबंध में सुझाव दिया था, जिसके बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कान्वुलेशन इंजीनियरिंग कन्सल्टेंसी एलएलपी कंपनी के माध्यम से सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है।

सर्वेक्षण का कार्य 21 अक्टूबर से 21 नवंबर 2024 तक किया जाएगा। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि हाल के समय में शिमला में भूस्खलन और भूमि धंसने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसी कारण हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस समस्या को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पास रखा था, ताकि शिमला शहर की विस्तृत जांच हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए बेहतर योजना बनाई जा सके।

राज्य आपदा प्राधिकरण ने सर्वेक्षण का जिम्मा एक कंपनी को सौंपा है, जो अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। ड्रोन आधारित एलआईडीएआर सर्वेक्षण की योजना के लिए 7 सितंबर 2024 को एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें जिला प्रशासन, जीएसआई चंडीगढ़ के प्रतिनिधि, जीएचआरएम के प्रतिनिधि, वरिष्ठ भूविज्ञानी (जीएसआई कोलकाता), नगर निगम और राज्य आपदा प्राधिकरण के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक में निर्णय लिया गया कि जिला प्रशासन और डीडीएमए शिमला पूरी प्रक्रिया का समन्वय करेंगे। शिमला शहर के नो-फ्लाई जोन में ड्रोन सर्वे के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। जिला प्रशासन ने प्रमुख स्थानों पर आवश्यक अनुमतियां प्राप्त कर ली हैं और सेना के अंतर्गत क्षेत्रों में सर्वेक्षण की सूचना दे दी गई है। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी कानून एवं व्यवस्था ने ड्रोन आधारित एलआईडीएआर सर्वेक्षण के लिए अनुमति आदेश जारी कर दिए हैं।

एलआईडीएआर क्या है?

ड्रोन आधारित एलआईडीएआर तकनीक, लेजर सेंसर का उपयोग करते हुए भौगोलिक विशेषताओं का पता लगाने की एक विधि है जिसे लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग भी कहा जाता है। इस तकनीक में ड्रोन पर लगे एलआईडीएआर सेंसर लाखों लेजर पल्स जमीन पर भेजते हैं। ये पल्स सतहों से टकराकर वापस लौटते हैं। सेंसर इन पल्स के लौटने में लगने वाले समय को मापता है और सतह के संपर्क बिंदुओं को रिकॉर्ड करता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से लाखों बिंदुओं को एकत्र करके ड्रोन आधारित एलआईडीएआर सर्वेक्षण जमीन की सटीक और विस्तृत 3डी छवि बनाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला

   

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