प्रमुख सचिव संस्कृति ने जेकेएएसीएल में ओ.पी. विद्यार्थी की पुस्तक का विमोचन किया
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- Jan 22, 2025
जम्मू 22 जनवरी (हि.स.)। प्रमुख सचिव संस्कृति एवं स्कूली शिक्षा सुरेश कुमार गुप्ता ने के.एल. सहगल हॉल में आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में डॉ. ओ.पी. विद्यार्थी द्वारा लिखित हिंदी पुस्तक पुष्पितपुलकित पथ पर का विमोचन किया।
यह समारोह जम्मू एवं कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें कई प्रतिष्ठित लेखक, विचारक और साहित्य प्रेमी शामिल हुए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. अशोक भान ने की और संस्कृति सचिव दीपिका शर्मा, प्रख्यात डोगरी लेखक प्रो. ललित मंगोत्रा, लेखक डॉ. ओ.पी. विद्यार्थी और गोजरी के मुख्य संपादक एवं जेकेएएसीएल के जम्मू संभाग के प्रमुख डॉ. जावेद राही ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
अपने मुख्य भाषण में सुरेश कुमार गुप्ता ने डॉ. ओ.पी. विद्यार्थी के जम्मू और कश्मीर की जैव विविधता से गहरे जुड़ाव की सराहना की। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और धरती माता की सुंदरता के विषयों पर समर्पित 51 पुस्तकें लिखने वाले लेखक की उनके विपुल योगदान के लिए प्रशंसा की। उन्हें वनों और वन उत्पादों का जीवंत विष्वकोश कहते हुए गुप्ता ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में ऐसे साहित्यिक कार्यों के महत्व पर जोर दिया।
दीपिका शर्मा ने युवा पीढ़ी के बीच डॉ. विद्यार्थी के ज्ञान को प्रसारित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को पर्यावरण से जुड़ने और उसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की वकालत की।
डॉ. अशोक भान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में पुस्तक को वनों की सुंदरता, आपदाओं के दौरान प्रकृति की पीड़ा और पर्यावरण संतुलन के उपचारात्मक स्पर्श का काव्यात्मक चित्रण बताया। उन्होंने पुस्तक के चुनिंदा अंश पढ़े और दर्शकों के साथ उनके गहन प्रभाव को साझा किया।
डॉ. ओ.पी. विद्यार्थी ने अपनी यात्रा से सुझाव साझा किये, जीवन के उन अनुभवों पर विचार किया जिसने उन्हें लिखने और पर्यावरण संरक्षण के लिए खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।
प्रख्यात कला इतिहासकार ललित गुप्ता ने डॉ. विद्यार्थी के अद्वितीय योगदान की सराहना की और राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान की वकालत की। प्रो. ललित मंगोत्रा ने भी लेखक के उल्लेखनीय साहित्यिक योगदान, विशेष रूप से डोगरी साहित्य के बारे में बात की और उनके साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को साझा किया।
इस कार्यक्रम में एक ऐसे लेखक का सम्मान किया गया जिनकी रचनाएँ न केवल क्षेत्रीय भाषाओं को समृद्ध करती हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्रवाई का आह्वान भी करती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति का महत्व समझने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी