जागरूकता ही समाज में बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम: डॉ. मुक्ता गर्ग
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- Dec 01, 2024
कानपुर,01 दिसम्बर (हि.स.)। जागरूकता ही समाज में बदलाव का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है। एड्स जैसे विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे पहले हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा। यह बात रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई-3 के तहत विश्व एड्स दिवस के मौके पर छात्र—छात्राओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अधिष्ठाता सामुदायिक विज्ञान डॉ. मुक्ता गर्ग ने कही।
उन्होंने कहा कि एड्स से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करना और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाना अत्यंत आवश्यक है। एड्स जैसे विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे पहले हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा। इस मौके पर कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई 3 -डॉ. रश्मी सिंह ने कहा कि एड्स का सबसे पहला मामला चिंपैंजी और बंदरों में पाया गया था। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है और इसकी रोकथाम ही इसका सबसे बड़ा उपाय है।
बी.एससी. तृतीय सेमेस्टर की छात्राएं शाज़िया खान और जागृति दास ने भी संगोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा, “एड्स सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक कलंक बन गया है। हमें एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में पूरा सम्मान और सहयोग मिलना चाहिए।” विश्व एड्स दिवस की थीम “टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट्स” रही। इस कार्यक्रम में अधिष्ठाता सामुदायिक विज्ञान डॉ. मुक्ता गर्ग मुख्य अतिथि रहीं, कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई 3 -डॉ. रश्मी सिंह ने अधिष्ठाता डॉ. मुक्ता गर्ग का स्वागत किया, गेस्ट फैकल्टी डॉ. पल्लवी सिंह और डॉ. रीमा भी उपस्थिति रहे।
कार्यक्रम के दौरान पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें छात्राओं ने रचनात्मक और विचारोत्तेजक पोस्टरों के माध्यम से एड्स से जुड़े मिथकों को दूर करने और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। पोस्टरों ने एड्स पीड़ितों के प्रति समाज के रवैये को बदलने और सहानुभूति बढ़ाने का संदेश दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल