एसीबी ने उप निदेशक बागवानी के खिलाफ मामला दर्ज किया

अवैध लाभार्थियों को मंडी नौपोरा में दुकान स्थलों के अवैध और फर्जी आवंटन किए गए
भारी कीमत लेकर अवैध लाभार्थियों को उनकी इच्छानुसार दुकानें आवंटित कर दीं
जम्मू।
एसीबी ने तत्कालीन डिप्टी निदेशक बागवानी योजना एवं विपणन विभाग के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मोहम्मद सुल्तान तेली तत्कालीन क्षेत्र विपणन अधिकारी सोपोर मोहम्मद अशरफ दमनू और 48 अन्य अवैध लाभार्थियों को फल और सब्जी मंडी नौपोरा सोपोर में दुकान स्थलों के अवैध और फर्जी आवंटन के लिए किया गया था। बागवानी योजना एवं विपणन विभाग द्वारा फल मंडी सोपोर में दुकानों के आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए एसीबी द्वारा एक संयुक्त औचक जांच जेएससी आयोजित की गई थी। यह आरोप लगाया गया था कि संबंधित क्षेत्र विपणन अधिकारी ने फ्रूट मंडी यूनियन के दलालों के साथ मिलकर भारी कीमत चुकाने के बावजूद उनकी इच्छानुसार दुकानें आवंटित कर दीं और दो दशक पहले प्रीमियम के साथ फॉर्म जमा करने वाले वास्तविक आवेदकों को नजरअंदाज कर दिया गया था। यह सामने आया कि बागवानी विभाग योजना एवं विपणन ने फल एवं सब्जी उत्पादकों व्यापारियों कमीशन एजेंटों संयुक्त फर्मों सोसाइटियों फेडरेशनों निगमों और अन्य गैर सरकारी संगठनों से फल एवं सब्जियों पर 700 दुकान स्थलों के आवंटन के लिए निर्धारित प्रपत्रों पर प्रस्ताव आमंत्रित किए। सब्जी मंडी नौपोरा सोपोर ने क्रमांक डीएचपीएम 701/2001/01381.92 दिनांक 23 अप्रैल 2001 के तहत जारी नोटिस के साथ क्रमांक डीएचपीएम 701/153/2828.39 दिनांक 23 जुलाई 2001 द्वारा अधिसूचित नियम और शर्तों के साथ अंतिम तिथि बताई गई है। इस ऑफर के जवाब में 25000 रुपये की पहली प्रीमियम किस्त के साथ 595 आवेदन प्राप्त हुए। जांच से पता चला कि दुकान स्थलों के आवंटन में लॉटरी का ड्रा जैसा कि अधिसूचना में निहित है को हटा दिया गया और आवंटन मनमाने ढंग से किया गया। क्षेत्र विपणन अधिकारी सोपोर अर्थात् मोहम्मद अशरफ  दमनू ने पसंदीदा लाभार्थियों को समायोजित करने के लिए जालसाजी का भी सहारा लिया है। आवंटित लाभार्थियों से प्रीमियम वसूलने के बजाय क्षेत्र विपणन अधिकारी सोपोर मोहम्मद अशरफ  दमनू ने उन लाभार्थियों को सूचीबद्ध कर लिया जिन्होंने निर्धारित समय के भीतर आवेदन भी नहीं किया था जिसमें उनका अपना बेटा और बहनोई भी शामिल थे। जांच से पता चला कि अड़तालीस ऐसे लाभार्थियों को वर्ष 2009, 2012, 2013 और 2014 में कट ऑफ  तिथि 29 सितंबर 2001 के बावजूद समान प्रीमियम रुपये पर सूचीबद्ध किया गया है। वर्ष 2001 में 100000 निर्धारित किया गया जबकि इस बीच जमीन की दर कई गुना बढ़ गयी। जांच से यह भी पता चला कि बागवानी योजना और विपणनद्ध विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों ने 2009 तक मामले को दबाए रखा। यह भी पाया गया है कि दुकान स्थलों का कब्ज़ा और रिलीज होल्ड अधिकार लाभार्थियों को रुपये की प्रीमियम की तीसरी किस्त प्राप्त किए बिना प्रदान किया गया है। 50000 जो विभाग द्वारा जारी आवंटन के नियमों और शर्तों की पूर्व आवश्यकताओं में से एक थी। तत्कालीन उप निदेशक बागवानी और तत्कालीन क्षेत्र विपणन अधिकारी सोपोर ने 591 आवेदकों के पक्ष में रुपये की पूरी प्रीमियम राशि वसूल किए बिना आवंटन आदेश जारी किए। 30 जून 2021 को आवंटियों पर 1.00 लाख रुपये बकाया था। तदनुसार पीएस एसीबी बारामूला में मामला एफआईआर संख्या 6 दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। मामला दर्ज होने के तुरंत बाद आरोपी लोक सेवकों के आवासों पर भी तलाशी ली गई जिसके दौरान मामले से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद और जब्त किए गए। मामले में आगे की जांच जारी है।

 

   

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