अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस पर 202 फलदार पौधों का रोपण

अररिया,22 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस के मौके पर नेपाल के गेरुका नदी के किनारे दो सौ दो फलदार पौधों का रोपण बुधवार को किया गया।जिसमे नेपाल के विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधि शामिल हुए।नेपाल में वृक्ष मानव के रूप में विख्यात सुरेश शर्मा की अगुवाई में यह कार्यक्रम हुआ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुरेश शर्मा ने बताया कि दुनिया भर में जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों को जैव-विविधता के प्रति जागरुक करना है। इसकी पहल 90 के दशक में तब की गई थी, जब संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में साल 1992 में ब्राजील के रियो डी जनेरियो में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया था। अगले वर्ष 1993 को 29 दिसंबर को पहली बार जैव-विविधता दिवस मनाया गया।जैव-विविधता की कमी होने से ही प्राकृतिक आपदाएं बाढ़, सूखा, आंधी-तूफान की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग का संकट, हम सब झेल ही रहे हैं। ऐसा पर्यावरण पर ध्यान नहीं देने और अधिक उूर्जा खपाने तथा प्राकृतिक जैव विविधता को संरक्षण नहीं देने का कारण है।

भारत नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में जैव विविधता का संतुलन बिगड़ा है। पौधों और जानवरों की प्रजातियों विलुप्त होने के कगार पर है।कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की कमी ने लोगों को पर्यावरण के प्रति सजग किया है। हमें बदलते परिवेश में पर्यावरण संतुलन के लिए हमें प्रकृति और पशु-पक्षियों का संरक्षण करना भी बेहद जरूरी है। पटना से आए पीपल नीम तुलसी अभियान के संयोजक डॉ धीरेंद्र कुमार ने पर्यावरण संरक्षण की सलाह दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता इंद्रशेखर पंजियार और संचालन संजीव साह ने किया।प्रमुख अतिथि के रूप में उपमेयर शान्ति कुमारी सिंह थी।कार्यक्रम में भारत नेपाल दोनों देशों के पर्यावरणविद मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/गोविन्द

   

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