नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए वैज्ञानिक आधार पर प्रभावी कार्य करें : मुख्यमंत्री धामी

-वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए विशेष ध्यान दिया जाए

-प्रदेशभर में 10 से जल उत्सव सप्ताह व्यापक स्तर पर मनाएं

देहरादून, 05 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए प्रभावी प्रयास करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके लिए वैज्ञानिक आधार पर तेजी से कार्य किये जाएं। फलदार और छायादार पौधे का अधिक रोपण किया जाए और न्याय पंचायत स्तर तक पौधरोपण अभियान चलाया जाए। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए वनाग्नि संभावित क्षेत्रों में नमी संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री धामी ने जल संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान-2024 के सफल क्रियान्वयन के लिए बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में अधिकारियों को यह निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और जल संचय की दिशा में तेजी से कार्य किया जाए। नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं। इसके लिये सभी संबंधित विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक आधार पर जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए यूकॉस्ट, यूसर्क एवं जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं का सहयोग भी लिया जाए। किसी भी अभियान को सफल बनाने में जन सहभागिता बहुत अहम होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 से 16 जून तक प्रदेशभर में जल उत्सव सप्ताह व्यापक स्तर पर मनाया जाए।

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य करने वालों के साथ ही इस दिशा में जन भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन नदियों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए अभी तक चिन्हित किया गया है, उनका बेसलाइन डाटा भी बनाया जाए। इनके पुनर्जीवीकरण के लिए लघुकालिक और दीर्घकालिक योजना के साथ कार्य किये जाएं। वर्षा जल संचय की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बनाई गई नीति का नियमानुसार पालन सुनिश्चित करवाया जाए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि से संभावित क्षेत्रों में वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए ऐसे क्षेत्रों में नमी संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए वन विभाग पूरी योजना बनाकर कार्य करे। जो जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए सुनियोजित तरीके से कार्ययोजना बनाकर कार्य किये जाएं। चाल-खाल और अमृत सरोवरों के निर्माण में और तेजी लाई जाए। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण संचय और संरक्षण के लिए प्रभावी तरीके से कार्य किये जाएं।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आगामी हरेला पर्व से व्यापक स्तर पर पौधरोपण के लिए अभियान चलाने को कहा। यह अभियान एक माह तक चलाया जाए। फलदार और छायादार वृक्षों का अधिक रोपण किया जाए। पौधरोपण के साथ उनका संरक्षण सबसे अधिक जरूरी है, इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने पौधरोपण अभियान को न्याय पंचायत स्तर तक चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि न्याय पंचायत स्तर पर गोष्ठी के माध्यम से जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम किये जाएं। न्याय पंचायत स्तर, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण अभियान के तहत फलदार पौध वितरित किये जाएं।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पौधरोपण अभियान में जन सहभागिता जरूरी है। इस अभियान को मनरेगा से जोड़ने से लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी। इस वर्ष इस अभियान को न्याय पंचायत स्तर तक विस्तार किया जायेगा। वन विभाग की ओर से सेक्टर बनाकर पौधरोपण किया जायेगा।

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी है। जल संचय और संरक्षण के परंपरागत तरीकों पर नियमित कार्य करना होगा। इस अभियान को जन अभियान बनाना जरूरी है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/वीरेन्द्र

   

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