हिसार: भारतीय कानून में 'डिजिटल अरेस्ट' का प्रावधान नहीं, सचेत रहें नागरिक : मोहित हांडा

हिसार, 14 जून (हि.स.)। पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा ने कहा है कि आजकल ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर आम लोगों को ठगा जा रहा है। ऐसे में आमजन को साइबर अपराधियों की इस धोखाधड़ी से सावधान रहने की जरूरत है। पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा ने शुक्रवार को कहा कि जैसे-जैसे लोग मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में हाईटेक होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे नए साइबर फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं। आजकल एक नए फ्रॉड का तरीका सामने आया है। इसमें आरोपी इंवेस्टीगेशन एजेंसियों के नाम पर लाखों की ठगी कर रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसा न तो कोई प्रावधान है और न ही पुलिस कभी किसी को इस तरह से ऑनलाइन बंधक बनाती है। साइबर अपराधियों की भाषा में यह महत्वपूर्ण है। इसमें साइबर ठग किसी व्यक्ति को ऑनलाइन लॉकअप में अपनी निगरानी में रखते हैं, यानि वीडियो कॉल या कॉन्फ्रेंस कॉल पर लगातार उसकी मॉनिटरिंग करते हैं। व्यक्ति को किसी तरह का शक न हो, इसके लिए आरोपी पीड़ित की गिरफ्तारी को कानूनन सही साबित करने के लिए फर्जी डिजिटल फॉर्म भी भरवाते हैं। इसकी एक कॉपी व्यक्ति के वॉट्सऐप नबंर पर भेजी जाती है। कई बार वीडियो कॉल पर व्यक्ति को जांच एजेंसी का ऑफिस और कार्यप्रणाली दिखाई जाती है। पूरी प्रक्रिया को इस तरह फॉलो किया जाता है कि व्यक्ति को किसी तरह का शक ही न हो।

पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा ने कहा कि अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर झूठे केस में फंसाने या डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है तो बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। आपने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके लिए आपको गिरफ्तार किया जाए। ऐसी स्थिति में सबसे पहले आप अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचना दें। इसके बाद तत्काल अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है तो इसे नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line के टोल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करें। इस बात से डरने की कोई जरूरत नहीं है कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी, क्योंकि आपने ऐसा कुछ नहीं किया है तो डरने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि डर को ही ठग अपना हथियार बनाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/सुमन

   

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