हितग्राहियों को सिकलसेल कार्ड का वितरण व जागरुकता रथ भेजकर विश्व सिकलसेल दिवस मनाया

जगदलपुर, 19 जून (हि.स.)। विश्व सिकल सेल दिवस पर श्यामाप्रसाद सभागार (टाउनहाल) में आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि प्रति वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में अंतरराष्ट्रीय जागरुकता दिवस मनाया जाता है, ताकि वैश्विक जनता को सिकल सेल रोग के बारे में सचेत किया जा सके। भारत में सिकल सेल रोग का बोझ दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

कार्यक्रम में सिकल सेल से पीड़ित बच्चे की माता शकीला सिंह ने बताया कि बच्चे की तबियत खराब होने पर अस्पताल में प्राथमिक जांच के उपरांत सिकलसेल की बीमारी की जानकारी मिली, हम दोनों पालक को छोटा सिकलसेल है। हम इस बीमारी के प्रति हम दोनों जागरूक नहीं थे। सभी से निवेदन इस बीमारी के प्रति जागरूक हो, शादी के पूर्व जरूर सिकलसेल की जांच करवाएं। सिकल से पीड़ित बच्ची की माता सोनमती बघेल ने भी अपने अनुभव को साझा किए। रेशम विभाग के अधिकारी अनिल कुमार सोम ने अपने अनुभव को साझा करते हुए नियंत्रण के लिए बताया कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर नियमित समय पर भोजन, समय पर दवाइयां का सेवन, कसरत, प्रति माह स्वास्थ्य जांच करवाएं के साथ ही ज्यादा पानी का सेवन करें।

कार्यक्रम में अतिथियों ने हितग्राहियों को सिकलसेल कार्ड का वितरण किए। इसके अलावा परिसर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य जांच के लिए स्टॉल लगाया गया था जिसमें अतिथियों ने अपना स्वास्थ्य जांच करवाया। साथ ही सिकलसेल जागरुकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किए। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप, उपाध्यक्ष मनीराम, महापौर साफिरा साहू, जिला पंचायत सीईओ प्रकाश सर्वे, नगर निगम आयुक्त हरेश मंडावी, सीएमएचओ डॉ. चतुर्वेदी, सिविल सर्जन डॉ. प्रसाद, सहायक आयुक्त शोरी, डीईओ भारती प्रधान सहित स्वास्थ्य विभाग आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बस्तर सांसद महेश कश्यप ने कहा कि सिकलसेल बीमारी को आमजन सिकलिन के नाम से जानते है। हर बीमारी से बचाव के लिए सावधानी-नियंत्रण जरूरी है, आधुनिक युग में विज्ञान ने बहुत तरक्की की है, वैज्ञानिकों ने सभी बीमारियों की दवाई इजात कर ली है। बीमारियों से बचाव और दवाइयों के संबंध जागरूकता की कमी से कईयों की जान चली गई, गांवों में बीमारियों के लिए जागरुकता की कमी से क्षेत्र के ग्रामीण बैना, गुनिया से इलाज करवाते है या अज्ञानता से स्वयं गोली खाकर ठीक होने का प्रयास करते हैं,जो सही नहीं है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवा केंद्र के माध्यम से सभी को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाई है इसका उपयोग करने की जरूरत है।

कलेक्टर विजय दयाराम ने कहा कि जिले में टीबी मुक्त, मोतियाबिंद मुक्त, मलेरिया मुक्त, डेंगू मुक्त अभियान चलाकर कर आम जनों को बीमारियों के प्रति जागरुकता फैलाने का प्रयास किया जाता रहा है, इसका लाभ जिले वासियों को हुआ है। इसी प्रकार सिकलसेल के प्रति लोंगो को जागरूक किया जा सकता है। सिकलसेल आनुवंशिक बीमारी है, जागरुकता की कमी के कारण बीमारी को बढ़ावा मिला है। बीमारी के बचाव हेतु शादी के पूर्व खून की जांच जरूर करवाएं। जांच में सिकलसेल के लक्षण मिले तो दवाइयों का सेवन नियमित करें और बीच बीच में खून की कमी की जांच करवाएं।

सिकलसेल रोग के बारे में जानने योग्य बातें एवं सिकलसेल के लक्षण

हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबीन) हंसिये के रूप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते हैं। ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी (शिराओं) में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगों के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। सिकलसेल रोग के मुख्य लक्षण भूख नहीं लगना, थकावट,तिल्ली में सूजन, हाथ-पैरों में सूजन,खून की कमी से उत्पन्न एनीमिया,त्वचा एवं आंखों में पीलापन (पीलिया), चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव,सांस लेने में तकलीफ, हल्का एवं दीर्घकालीन बुखार रहना, बार-बार पेशाब आना व मूत्र में गाढ़ापन, वजन और ऊंचाई सामान्य से कम और हड्डियों एवं पसलियों में दर्द होना है। अगर उक्त लक्षण हैं और सिकलसेल की जांच नहीं करवाएं हैं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर सिकल सेल की निःशुल्क जांच अवश्य कराएं और सिकलसेल गुणसूत्र है या नहीं इस बारे में पूरी जानकारी अवश्य लें।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

   

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