आपातकाल पर लोकसभा अध्यक्ष का प्रस्ताव का सत्याग्रहियों के संघर्ष का सम्मान : अमित शाह

नई दिल्ली, 26 जून (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1975 के आपातकाल पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे कांग्रेस सरकार के दमन और शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने वाले सत्याग्रहियों के संघर्ष का सम्मान करार दिया।

अमित शाह ने एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा कि आज लोकसभा में 1975 के आपातकाल के विरुद्ध प्रस्ताव रखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बाबा साहब आम्बेडकर के संविधान का अपमान करने वाली कांग्रेस सरकार के दमन और शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने वाले सत्याग्रहियों के संघर्ष को सम्मान देने का काम किया है, जिसका मैं हृदय से समर्थन करता हूं।

उन्होंने कहा कि सदन ने आज 'आपातकाल' रूपी उस 'अन्याय काल' को याद करते हुए इंदिरा सरकार के शोषण और अत्याचार को सहने वाले गरीबों, दलितों और पिछड़ों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं, जब देश के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर उनकी आजादी छीन ली गई थी। साथ ही, सदन ने इस बात पर दुःख जताया कि आपातकाल में कैसे पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था और इंदिरा सरकार ने कैसे हमारे संविधान की भावना को कुचलने का काम किया था।

शाह ने कहा कि संसद के इस प्रस्ताव ने आपातकाल के काले कालखंड में संविधान में किये गए कई संवेदनशील संशोधनों से एक व्यक्ति के पास सारी शक्तियों का केन्द्रीकरण करने वाली कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को एक्सपोज करने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा विपक्ष के लाखों नेताओं को अकारण डेढ़ साल से अधिक समय तक जेल में बंद करने की क्रूरताओं की निंदा करने का काम किया है। ज्युडीशियरी, ब्यूरोक्रेसी और मीडिया जैसे प्रमुख स्तंभों को आघात पहुंचाने वाली कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी सोच को उजागर किया है। संसदीय लोकतंत्र समाप्त करने वाली कांग्रेसी सोच की कभी पुनरावृत्ति न हो, इसके प्रति जागरूकता फैलाने का संदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को देश में कांग्रेस शासन में आपातकाल लगाए जाने की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस निर्णय को संविधान पर हमला बताया।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/रामानुज

   

सम्बंधित खबर