उत्तराखंड में जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए सरकार उठाए कदम, एनआरपी ने उठाई आवाज

देहरादून, 27 जून (हि.स.)। गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (एनआरपी) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को धरना-प्रदर्शन किया। साथ ही मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड में जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए सरकार को यह कदम उठाने ही होंगे, तभी सही मायने में मूल निवास व भू-कानून लागू हो पाएंगे और सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक संकट दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मूल निवास और भू-कानून खत्म किया जा रहा है, उससे जल्द ही गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय पहाड़ से गायब हो जाएंगे। आज उत्तराखंडियों में अपनी पहचान का संकट गहराता जा रहा है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल ने कहा कि यूसीसी कानून के मुताबिक एक वर्ष पहले भी उत्तराखंड आने वाला व्यक्ति यहां का स्थायी निवासी का दर्जा प्राप्त कर लेगा तो फिर उत्तराखंड के मूल निवासियों की पहचान खत्म ही हो जाएगी।

संगठन सचिव सुलोचना ईष्टवाल ने मांग की कि जिस तरह से जौनसार में मूल निवास 1950 लागू है और बाहरी व्यक्ति वहां की जमीन नहीं खरीद सकता, उसी तरह गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय को जनजाति का दर्जा मिलने से मूल निवास और भू-कानून का संरक्षण स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा।

रिजनल महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष शैलबाला ममगाई ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे आदि राज्यों में खस जनजाति की पहचान गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय के रीति-रिवाज, धार्मिक परंपराएं खस जनजाति के अनुसार हैं। उत्तराखंड सरकार से मांग है कि खस जनजाति के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों का चिन्हीकरण कर जनजाति का दर्जा दिया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/वीरेन्द्र

   

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