कोरोना काल में हुए 70 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में सुनवाई 30 जुलाई को

सीबीआई जांच के लिए स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश

नैनीताल, 27 जून (हि.स.)। हाई कोर्ट ने कौशल विकास योजना के तहत कोरोना काल में हुए 70 करोड़ के घोटाले मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से मौखिक तौर पर पूछा है कि क्या इस मामले पर सीबीआई की जांच कराई जा सकती है। इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तिथि नियत की है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार से उक्त मामले के सभी रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करने के साथ ही याचिकाकर्ता को घोटाले में शामिल निजी कंपनियों और एनजीओ को पक्षकार बनाने को कहा था।

मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हल्द्वानी आवास विकास कॉलोनी निवासी एहतेशम हुसैन खान उर्फ विक्की खान व अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित दायर कर कहा था कि उत्तराखंड में केंद्र सरकार के कौशल विकास योजना में कोविड महामारी के दौरान गड़बड़ी की गई है। कोरोना काल के दौरान सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगी थी लेकिन इस अवधि में प्रशिक्षण के नाम पर लगभग 313 करोड़ की धनराशि हड़प ली गई। प्रदेश सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जबकि इस घोटाले में अधिकारी सहित करीब 27 एनजीओ भी शामिल है। याचिकाकर्ता का कहना था कि प्रदेश में चल रही कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं बरती गई और अकेले कोरोना काल में प्रदेश के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कराकर उन्हें नौकरी तक आवंटित कर दी। ऐसे लोगों के नाम पर धन दिया जो इस दुनिया में हैं ही नहीं या जो 18 साल से कम उम्र के हैं और पूरी तरह से अपने माता-पिता पर निर्भर हैं। जिन छात्रों के आधारकार्ड लगाए गए हैं वे पूरी तरह फर्जी हैं। जबकि कोरोना के समय ये प्रशिक्षण कराया जाना असम्भव था। जनहित याचिका में इसकी जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में केंद्र सरकार, उत्तराखंड सरकार सहित निदेशक कौशल विकास, सचिव कौशल विकास, नोडल अधिकारी कौशल विकास को पक्षकार बनाया है।

हिन्दुस्थान समाचार/लता नेगी/सत्यवान/वीरेन्द्र

   

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