पंजाब सरकार नहीं दे रही हिस्से का पानी, किसानों ने शुरू किया महापड़ाव

श्रीगंगानगर, 27 जून (हि.स.)। पंजाब सरकार राजस्थान को हिस्से का पूरा पानी नहीं दे रही है। इस कारण पंजाब की सीमा से सटे जिले श्रीगंगानगर के किसानों में आक्रोश है। इन किसानों का गुस्सा गुरुवार को फूट पड़ा। इसको लेकर श्रीगंगानगर में महाराजा गंगासिंह चौक पर किसानों ने महापड़ाव शुरू कर दिया है।

किसानों का कहना है कि गंगनहर में राजस्थान के हिस्से का पानी 2500 क्यूसेक प्रतिदिन निर्धारित है, लेकिन पानी पर नियंत्रण पंजाब सरकार का होने के कारण पंजाब सरकार हमारे हिस्से का पूरा पानी नहीं दे रही है। केवल आधा पानी दिया जा रहा है। इससे हमारी फसलों को नुकसान हो रहा है। पूरा पानी लेना हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। गंगनहर में पूरा पानी लेने, फिरोजपुर फीडर का पुनर्निर्माण, पंजाब से पानी चोरी रोकने सहित विभिन्न मांगों के संबंध में किसानों का श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव गुरुवार को शुरू हुआ। इसे कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अंकुर मगलानी और पूर्व विधायक राजकुमार गौड़ सहित कई कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पर धरना स्थल पर पहुंचे। इस दौरान मगलानी और गौड़ ने कहा कि किसानों की मांग पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही ध्यान नहीं दे रही है। जिला प्रशासन के अधिकारियों के पंजाब के अधिकारियों से मिलने के बाद भी पूरा पानी नहीं मिल पाया है।

महापड़ाव को किसान नेताओं ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि धरती हमारी मां है और हम इस मां को पानी की कमी से परेशान होते नहीं देख सकते हैं। गंगनहर में पूरा पानी लेना हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखकर संघर्ष करना होगा। एकजुट होकर काम करना होगा, जिससे कि हमें अपने हक का पानी मिल सके। किसान नेताओं ने कहा कि किसानों के आंदोलन की घोषणा के बावजूद बुधवार को पहले से चल रहे पानी को भी पंजाब सरकार की ओर से कम कर दिया गया। किसान अब पानी लेकर ही रहेंगे। महापड़ाव को किसान नेता रणजीत सिंह राजू, इकबाल सिंह सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

नहरी पानी के संबंध में रियासतकालीन समझौते की बात करें तो वर्ष 1920 में ब्रिटिश गवर्नमेंट, तत्कालीन पंजाब रियासत, बीकानेर रियासत और वर्तमान पाकिस्तान में स्थित बहावलपुर रियासत के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार बीकानेर रियासत को 2700 क्यूसेक प्रतिदिन पानी दिया गया। यानी राजस्थान को फसलों के लिए करीब 2700 क्यूसेक प्रतिदिन पानी देना उसी समय निर्धारित हो गया था। बाद में वर्ष 1950 के आसपास आजादी के बाद नहरी पानी के वितरण के लिए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) बनाया गया। इस बोर्ड में बहावलपुर के अलावा अन्य राज्यों के पानी वितरण की व्यवस्था की गई। यह बोर्ड राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का वितरण करता है लेकिन खास बात यह है कि इस बोर्ड में भी राजस्थान का प्रतिनिधित्व नहीं है। ऐसे में रियासत काल में निर्धारित पानी 2700 क्यूसेक होने के बावजूद पंजाब मनमानी कर राजस्थान को कम पानी देता है। ये हालात इस वर्ष ही नहीं बल्कि पिछले प्रत्येक वर्ष में रहे हैं। गंगनहर में पानी राजस्थान तक पहुंचने के दौरान यह पंजाब से हाेकर गुजरता है। हेडवर्क्स पर पंजाब का नियंत्रण होने के कारण वह पानी वितरण में मनमानी करता है।

गंगनहर के एसई धीरज चावला का कहना है कि हम पंजाब से पूरा पानी लेने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस बारे में पंजाब के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है। एसई धीरज चावला का कहना है कि गंगनहर में पानी बढ़वाने के लिए चीफ इंजीनियर स्तर से बीबीएमबी के अधिकारियों से संपर्क किया जाएगा। वहीं वे स्वयं भी फिरोजपुर जाकर अधिकारियों से संपर्क करेंगे और गंगनहर में पानी बढ़वाने का प्रयास किया जाएगा। रियासत काल में हुए समझौते के अनुसार वर्ष 1920 में बीकानेर रियासत यानी राजस्थान को 2700 क्यूसेक रोज पानी मिलना था। आजादी के बाद वर्ष 1950 में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड बनाया गया। इस बोर्ड को राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में पानी का वितरण करना था। यह बोर्ड हर महीने नहरी पानी का निर्धारण इसकी उपलब्धता के अनुसार करता है। इस बोर्ड में राजस्थान का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इस बोर्ड ने जून महीने में राजस्थान के लिए प्रति दिन 2500 क्यूसेक पानी तय किया है। यह पानी पंजाब से होता हुआ राजस्थान में आता है। ऐसे में पंजाब का हेड वर्क्स पर नियंत्रण होने के कारण वह अपने इलाके से राजस्थान को कम पानी देता है। इस पानी में से भी जगह-जगह पंजाब क्षेत्र में किसान पानी चोरी कर लेते हैं और राजस्थान तक केवल 1200 से 1400 क्यूसेक ही पानी पहुंच पाता है। इसी कारण राजस्थान के किसानों में गुस्सा है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

   

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