मणिपुर की महिलाओं को सगंधीय तेल उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहा है सीमैप

लखनऊ, 27 जून (हि.स.)। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) मणिपुर की विस्थापित महिलाओं को सगंधीय तेल के उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन का प्रशिक्षण दे रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मणिपुर के विभिन्न जिलों की 30 महिलाएं भाग ले रही हैं।

गुरुवार को शुरू हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि मणिपुर के उखरूल एवं काकचिंग जिलों में एरोमा मिशन द्वारा 20 एकड़ में नीबू-घास की खेती तथा दो आसवन इकाइयों की स्थापना 2022 मे किया गया था। इससे वहां के काफी कृषकों को लाभ पहुंच रहा है। कार्यक्रम में मणिपुर के तीस आदिवासी (कुकी, मैतेई तथा नागा) महिलाओं ने सीएसआईआर-सीमैप के साथ उद्यमिता विकास हेतु प्रयास करने का निर्णय लिया तथा वहां पर उपलब्ध जड़ी-बूटियों का औद्योगिक उपयोग कर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की बात कही।

डॉ. आलोक कालरा ने बताया कि मणिपुर की स्थानीय समस्याएं इस प्रशिक्षण से दूर की जा सकती हैं । डॉ. संजय कुमार ने बताया कि सीएसआईआर-सीमैप पूरे देश में एरोमा मिशन का कार्य कर रहा है, जिससे लगभग 36000 हे. क्षेत्रफल में सगंधीय फसलों की खेती हो रही है। डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मणिपुर मे जिरेनियम, गुलाब, पिपरमिंट एवं नीबूघास तथा सालविया की खेती हेतु काफी उपयुक्त है।

इसी क्रम में सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के वैज्ञानिकों के प्रयासों द्वारा किसानों के लिये औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रजातियां विकसित की गयी हैं, जिनसे किसानों को अधिक पैदावार व लाभ मिलेगा। इन क्लस्टर के किसानों द्वारा सगंधीय फसलों की खेती से वृहद रूप से जोड़ा गया है, जिसके फलस्वरूप आज भारत नीबू-घास व पामारोजा के तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन निर्यात करने की ओर अग्रसर है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मनोज कुमार, तकनीकी अधिकारी ने प्रतिभागियों को प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया व पौधों की पहचान कराई।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/मोहित

   

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