मार्केट कैप के मामले में सबसे आगे भारतीय शेयर बाजार, पहली तिमाही में 13.8 प्रतिशत का इजाफा

- लगातार पांचवी तिमाही में मार्केट कैप में हुई बढ़ोतरी

- डॉलर के अलावा अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपया काफी मजबूत हुआ

नई दिल्ली, 28 जून (हि.स.)। बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपीटलाइजेशन) के मामले में भारतीय शेयर बाजार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान दुनिया भर के सभी स्टॉक मार्केट से आगे निकल गया है। अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान भारतीय कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 13.8 प्रतिशत बढ़ गया है। इसमें उल्लेखनीय बात ये भी है कि भारतीय कंपनियों के मार्केट कैप में लगातार पांचवीं तिमाही के दौरान बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक शेयर बाजार में लिस्टेड भारतीय कंपनियों का कुल मार्केट कैपीटलाइजेशन फिलहाल 5.03 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। हालांकि मार्केट कैप के मामले में भारतीय शेयर बाजार का स्थान अभी भी दुनिया में पांचवें नंबर पर है। मार्केट कैपीटलाइजेशन के मामले में सबसे आगे फिलहाल अमेरिकी इक्विटी मार्केट है, जिसकी टोटल मार्केट वैल्यू फिलहाल 56.84 ट्रिलियन डॉलर है। लेकिन अमेरिकी इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के टोटल मार्केट कैपीटलाइजेशन में अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान सिर्फ 2.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इक्विटी मार्केट चीन (8.6 ट्रिलियन डॉलर) में कंपनियों का टोटल मार्केट कैप अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान 5.6 प्रतिशत कम हो गया है। चीन के मार्केट कैप में लगातार पांचवीं तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह जापान के शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान 6.24 प्रतिशत की कमी के साथ 6.31 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। हालांकि मार्केट कैप के मामले में चौथे स्थान पर काबिज हांगकांग के शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पहली तिमाही के दौरान 7.3 प्रतिशत की मजबूती के साथ 5.15 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।

इसके अलावा ब्रिटेन के शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में 3.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह फ्रांस के शेयर बाजार का मार्केट कैपीटलाइजेशन 7.63 प्रतिशत बढ़ा है। कनाडा के मार्केट कैप में 2.7 प्रतिशत और सऊदी अरब के मार्केट कैप में 8.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय शेयर बाजार के मार्केट कैपीटलाइजेशन में 26.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। जानकारों का मानना है कि मैक्रोइकॉनॉमिक एक्सपेंशन के कारण भारतीय शेयर बाजार को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। इसके साथ ही फंसे हुए कर्ज के मामले में भी भारतीय बैंकों को काफी सफलता मिली है। सबसे बड़ी बात तो भारतीय मुद्रा के वैश्विक प्रदर्शन की रही है। विकासशील देशों की करेंसी की तुलना में भारतीय मुद्रा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। हालांकि डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर जरूर रहा है लेकिन अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में रुपये में तुलनात्मक तौर पर काफी मजबूती आई है। इसकी वजह से घरेलू और विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा बढ़ा है और उनके निवेश में भी तेजी आई है। भारतीय शेयर बाजार के पक्ष में एक और बात कही जा रही है, वो ये कि घरेलू शेयर बाजार की अब विदेशी निवेशकों पर निर्भरता काफी कम हो गई है। घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूती की वजह से विदेशी निवेशक बाजार में ज्यादा बड़ा उलट फेर नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से भी घरेलू शेयर बाजार में आमतौर पर तेजी का रुख बना हुआ नजर आ रहा है, जिसकी वजह से भारतीय शेयर बाजार के मार्केट कैप में लगातार इजाफा हो रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ योगिता/दधिबल

   

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