एफएटीएफ ने भारत की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को स्वीकार किया

नई दिल्ली, 28 जून (हि.स.)। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने सिंगापुर में अपने पूर्ण अधिवेशन में भारत की पारस्परिक मूल्याकंन रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। भारत की इस रिपोर्ट को एफएटीएफ के सिंगापुर में आयोजित पूर्ण अधिवेशन में स्वीकार किया गया है।

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में बताया कि भारत की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को 26 जून से 28 जून, 2024 के बीच सिंगापुर में आयोजित एफएटीएफ के पूर्ण अधिवेशन में स्वीकार किया गया। इस रिपोर्ट ने भारत को 'नियमित अनुवर्ती' श्रेणी में रखा है। यह ऐसा सम्मान है जो केवल चार अन्य जी-20 देशों को मिला हुआ है।

मंत्रालय के मुताबिक यह मनी लॉन्ड्रिंग (एलएल) और आतंकवादी वित्तपोषण (टीएफ) से निपटने के भारत के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतीक है। इन सबके अलावा एफएटीएफ ने भारत के निम्नलिखित प्रयासों को मान्यता दी है। इसमें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और संगठित अपराध से प्राप्त आय के शोधन सहित मनी लॉंड्रिंग/आतंकवादी वित्तपोषण से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करना।

इसके साथ ही मनी लॉंड्रिंग/आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों को कम करने के लिए नकदी आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तन हेतु भारत द्वारा प्रभावी उपाय लागू करना। वहीं, नकदी लेन-देन पर कड़े नियमों के साथ-साथ जेएएम (जन धन, आधार, मोबाइल) ट्रिनिटी के कार्यान्वयन से वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेन-देन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इन उपायों ने लेन-देन को और अधिक पारदर्शी बना दिया है, जिससे मनी लॉंड्रिंग/आतंकवादी वित्तपोषण जोखिम कम हो गया है और वित्तीय समावेशन में वृद्धि हुई है।

क्या है एफएटीएफ

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1989 में की गई थी। इसको बनाने का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा से संबंधित खतरों से निपटना है। भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर/प्रभात

   

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