नए कानून पीड़ितों को जल्द मिलेगा न्याय दिलाने में होंगे कारगर साबित

धर्मशाला, 02 जुलाई (हि.स.)। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत लागू तीन नए आपराधिक कानून पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने में कारगर साबित होंगे। एक जुलाई से लागू हुए नए कानून के तहत दो मामले भी दर्ज हो चुके हैं। इस बारे में बुद्धिजीवियों सतेंद्र गौतम, अशोक वशिष्ठ व सुनील शर्मा का कहना है कि तीन नए कानून लागू होने से अब पीड़ितों को न्याय जल्द मिल सकेगा और इसमें और भी ज्यादा पारदर्शिता आएगी।

उन्होंने बताया कि नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक नया अपराध मॉब लिंचिंग है। इसमें मॉब लिंचिंग पर भी कानून बनाया गया है। 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। साथ ही 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है।

बता दें कि नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा। बलात्कार पीड़ितों के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए। कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है।

इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा। सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा। आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी। अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा। लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है।

महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीडि़त के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है। नए कानूनों को लोग अच्छी पहल मान रहे हैं। कानूनविदों का भी मानना है कि नए कानून भारतीय न्याय प्रणाली को और सशक्त करने में सहायक सिद्ध होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र

   

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