सिरसा: परमिट जारी करने की बजाए सरकारी बसें बढ़ाए सरकार: कुमारी सैलजा

हरियाणा रोडवेज का निजीकरण कर इसे बंद करने पर उतारू भाजपा सरकार

रोडवेज का प्रबंधन खराब, पीएसी भी उठा चुकी कार्यप्रणाली पर सवाल

सिरसा, 10 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश की भाजपा सरकार प्राइवेट बसों के परमिट जारी कर हरियाणा रोडवेज को निजी हाथों में सौंपना चाहती है। निजी हाथों में देते ही सरकारी महकमे परिवहन विभाग को राज्य सरकार बंद कर देगी। सार्वजनिक परिवहन सेवा की हरियाणा रोडवेज को भाजपा सरकार जिंदा रखना चाहती है तो फिर उसे स्टैट कैरिज बसों के परमिट जारी करने की बजाए सरकारी बसों की खरीद कर रोडवेज के बेड़े को बढ़ाना चाहिए।

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने बुधवार काे कहा कि राज्य सरकार के आदेश पर परिवहन विभाग ने स्टैट कैरिज बसों के परमिट को लेकर नई अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे व मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड पर पड़ने वाले ३६२ रूटों के लिए परमिट जारी किए जाएंगे। यही नहीं, किसी भी रूट पर स्टैट कैरिज बसों के परमिट ५० प्रतिशत तक करने का ऐलान किया है। यानी, आधे रूटों पर निजी क्षेत्र की बसें संचालित होंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह रोडवेज का निजीकरण दिशा में शुरुआती कदम है। धीरे-धीरे परमिट वाली बसों की संख्या को बढ़ाकर ५० प्रतिशत से अधिक कर दिया जाएगा और फिर एक दिन रोडवेज को बंद करने या पूरी तरह निजीकरण करने का फरमान सुना दिया जाएगा। रोडवेज के निजीकरण का शुरू से कर्मचारी संगठन विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनकी किसी तरह की सुनवाई प्रदेश सरकार नहीं कर रही।

कुमारी सैलजा ने कहा कि पीएसी की रिपोर्ट में खुलासा हो चुका है कि सरकारी लापरवाही व दिलचस्पी न लेने के कारण हरियाणा रोडवेज घाटे में है। नई बसें न होने व लचर प्रबंधन के कारण ही रोडवेज की बसें अपने लक्ष्य से कम दौड़ रही हैं। साल २०१५-१६ में प्रति किलोमीटर घाटा १०.६१ रुपये था, जो ०५ साल में बढ़कर २३.६२ रुपये हो चुका है। जबकि, डीजल खर्च भी अनुमान के मुकाबले ३९.८६ लाख लीटर अधिक रहा। इसी तरह ब्रेकडाउन भी बार-बार होता रहा, जिससे बसें लक्ष्य के मुकाबले ०७ करोड़ किलोमीटर कम दौड़ सकी।

हिन्दुस्थान समाचार / रमेश डाबर / Sanjeev Sharma

   

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