आरटीआई का उल्लंघन, पुलिस ने किया एफआईआर की कॉपी देने से इंकार

बेगूसराय, 01 जनवरी (हि.स.)। बेगूसराय के एसपी योगेन्द्र कुमार भले ही 30 मिनट में एफआईआर की कॉपी देने की बात कहते हैं लेकिन बेगूसराय में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन देने के साढ़े चार माह के बाद भी उसकी कॉपी नहीं दी जा रही है।

मामले का खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत हुआ है। करीब साढ़े चार माह पूर्व दिनांक 14 अगस्त 2023 की रात में बरौनी उप डाकघर में चोरी की घटना हुई थी। लेकिन फुलवरिया थाना द्वारा अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है।

इस संबंध में जब शोकहारा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता ने आरटीआई के माध्यम से एफआईआर की प्रति की मांग की तो फुलवरिया थानाध्यक्ष ने अपने पत्रांक-2171 के माध्यम से अपने जवाब में कहा है कि आपसे संबंधित सूचना नहीं है।

इसलिए इसकी प्रति आपको उपलब्ध नहीं करायी जा सकती है। इसके लिए थानाध्यक्ष ने आरटीआई की धारा 8 (1)- ज का हवाला देते हुए बताया है कि उन्हें इसके लिए छूट प्राप्त है। इधर, भारतीय डाक विभाग के बेगूसराय मंडल डाक अधीक्षक ने आरटीआई के अपने जवाब में कहा है कि 14 अगस्त 2023 की रात में बरौनी उप डाकघर में चोरी की घटना घटित हुई थी।

जिसकी सूचना लिखित रूप में उप डाकघर बरौनी के उप डाकपाल रघुनंदन सहनी द्वारा पुलिस को 15 अगस्त को दिया गया। लेकिन पुलिस के द्वारा उन्हें भी अभी तक एफआईआर की प्रति नहीं भेजी गई है। इससे स्पष्ट होता है कि चोरी की घटना का एफआईआर थाना में दर्ज नहीं किया गया है।

गिरीश गुप्ता ने बताया कि थानाध्यक्ष द्वारा हवाला दिया गया है कि उन्हें आरटीआई में धारा 8 (1)-ज की छूट है। उनका यह जवाब सरासर गलत है, क्योंकि जब एफआईआर दर्ज नहीं हुआ तो यह छूट कैसे। उन्होंने बताया कि आरटीआई में धारा 8 (1)-ज में यह स्पष्ट उल्लेख है की अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन पड़ेगी।

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा दिए गए एक फैसले में यह कहा गया है कि एफआईआर शासकीय दस्तावेज है, किसी की निजी जानकारी नहीं। क्योंकि कोई भी अपराध समाज के विरुद्ध किया जाता है और समाज में रहने वाले व्यक्तियों को जानने का अधिकार है कि अपराध किन के द्वारा किया जा रहा है।

जिससे वह अपने आप को सजग और सुरक्षित रख पाए। उन्होंने बताया कि अपराध को निजी जानकारी की श्रेणी में रखा जाए तो हर अपराधी अपराध करने के बाद यह कहेगा की उसके द्वारा किया गया अपराध उसका निजी विषय है और इसकी जानकारी किसी को नहीं दी जाए। गिरीश गुप्ता ने कहा कि मामले में जिसकी गलती है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

   

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