भगवान शिव 11वें रूद्रावतार हनुमान जी के रूप में अवतरित : आचार्य अभिषेक हरिकिंकर
- Admin Admin
- Jan 06, 2024
![](/Content/PostImages/002_832.jpg)
--द्वादश ज्योतिर्लिंगों के नाम लेने से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त
--नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा एवं महामृत्युंजय यज्ञ
प्रयागराज, 06 जनवरी (हि.स.)। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के कार्य के लिए देवाधिदेव भगवान शिव 11वें रूद्रावतार हनुमान जी के रूप में अवतरित हुए। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। उन्होंने जिस प्रकार सुग्रीव की राम से मैत्री कराई, फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया। जिसके कारण भगवान श्रीराम उन्हें अपने भाई भरत जैसा स्नेह प्यार करते थे, कहते है “तुम मम प्रिय भरत सम भाई“।
यह बातें नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा एवं महामृत्युंजय यज्ञ के दौरान संत आचार्य अभिषेक हरिकिंकर महाराज ने शनिवार को हनुमत चरित्र का वर्णन करते हुए कहा। बाबा बैजनाथ सावित्री देवी धर्मशाला नारीबारी में उन्होंने द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पाठ करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं और उसको समस्त सिद्धियों का फल प्राप्त होता है। जो निष्काम भावना से पाठ करता है। उसे माता के गर्भ से मुक्ति मिल जाती है और मनुष्य भवसागर से पार उतर जाता है।
श्री प्रयागराज धाम सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कथा में मुख्य यजमान श्री सर्वेश्वर हनुमान मंदिर के प्रतिनिधि के रूप में राम कैलाश शुक्ला सपरिवार, बाबा बैजनाथ केसरवानी सपरिवार, समस्त वैष्णव परिवार एवं सभी नगरवासी उपस्थित रहकर कथा श्रवण करते हैं। जिसमें प्रमुख रूप से आचार्य राजीव तिवारी, पुजारी रमेश दास, दिवाकर दास, ऋषि मोदनवाल, दिलीप कुमार चतुर्वेदी, मुनेश्वर शुक्ला, दिनेश शुक्ल, गणेश शुक्ल, सुधीर शुक्ल, राकेश केसरवानी, रामबाबू केसरवानी, प्रदीप केसरवानी पिंटू आदि रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण