देवेंद्र शास्त्री राष्ट्रवादी राजनीति के प्रमुख थे : महेंद्र भट्ट

Devendra Shastri was the leader of nationalist politics: Mahendra BhattDevendra Shastri was the leader of nationalist politics: Mahendra Bhatt

देहरादून, 09 जनवरी (हि.स.)। उत्तराखंड की राजनीति को दशा दिशा देने वाले विशेषकर राष्ट्रवादी राजनीति को आगे बढ़ाने का काम जिन विशिष्टजनों ने किया है, उनमें देवेंद्र शास्त्री का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है।

देवेंद्र शास्त्री ने भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक को आगे बढ़ाने का काम किया है। उनकी 14वीं पुण्यतिथि पर भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में आयोजन हुआ।कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और कार्यक्रम का संचालन प्रदेश उपाध्यक्ष, पूर्व विधायक मुकेश कोली ने किया। इसमें डॉ. शास्त्री के दो पुत्र उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यमंत्री दायित्वधारी विनोद उनियाल के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने शास्त्री को राष्ट्रवादी राजनीति का पुरोधा बताते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रवादी राजनीति को जन्म दिया है। इससे पहले यह क्षेत्र वामपंथियों तथा कांग्रेसियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन देवेंद्र शास्त्री ने इन दोनों राजनीतिक दलों को हाशिये पर धकेल दिया। उन्होंने कहा कि देवेंद्र शास्त्री जैसे महापुरुष ही क्रांति के वाहक बनते हैं।

भाजपा नेता प्रकाश सुमन ध्यानी ने उनके शेखूपुरा पाकिस्तान के प्रचारक जीवन की चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद शास्त्री जी देहरादून आए और उन्होंने जनसंघ की स्थापना की। भाऊवाला में 7 किलोमीटर लंबी नहर श्रमदान के माध्यम से बनवाई, जिसका लोकार्पण डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया।

डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़कर उन्होंने राजनीति को सुधारने का जो बीड़ा उठाया उसका प्रमाण यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भारतीय जनसंघ और शिशु मंदिर, विद्या मंदिर की स्थापना है।

अधिवक्ता भरत सिंह नेगी ने देवेंद्र शास्त्री के टिहरी राजा के विरुद्ध चुनाव लड़ने और ईमानदारी से कार्य करने की स्थितियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनसे हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। सुभाष बड़थ्वाल ने काव्यमयी पंक्तियों के माध्यम से कहा कि ऐसे नेता बिरले होते हैं।

देवेंद्र शास्त्री के पुत्र ऋषिराज डबराल ने बताया कि गढ़वाल के दुर्गम गांव अनेरू में 20 मई 1921 को एक सामान्य वैद्य के परिवार में पैदा हुए कर्मवीर देवेंद्र शास्त्री ने ऋषिकेश संस्कृत शिक्षा के लिए और यहां से पंजाब उच्च शिक्षा के लिए गए। उन्होंने बताया कि पंजाब में प्रचारक रहने के बाद स्वतंत्रता के बाद वह उत्तराखंड आए। उन्होंने राजावाला में श्रमदान के माध्यम से 7 किलोमीटर लंबी गूल बनवाई, जिसका उद्घाटन डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने किया था। उन्होंने बताया कि चकराता विधानसभा का चुनाव 1957 में लड़ने के साथ-साथ उन्होंने टिहरी राजा को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे,उनको निर्विरोध सांसद घोषित नहीं होने दिया। देवेंद्र शास्त्री कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं। यह हम सबको उनके जीवन से सीखना चाहिए।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अगले वर्ष से उनकी जयंती या पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश में जनपदवार कार्यक्रम आयोजित हों ताकि लोग देवेंद्र शास्त्री के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में जान सकें। ऐसे विशाल वटवृक्ष के बारे में हमारे सभी कार्यकर्ताओं को जानकारी होनी चाहिए। कार्यक्रम में भारी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने अपने नेता को पुष्पांजलि अर्पित की।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज

   

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