शिक्षा मंत्रालय की टीम ने किया सम्पूर्णानंद संस्कृत विवि में आईकेएस केन्द्र की समीक्षा

—विश्व गुरु भारत की संकल्पना आईकेएस केन्द्रों से होगी पूरी : प्रो.मोहन राघवन

वाराणसी,19 फरवरी (हि.स.)। शिक्षा मंत्रालय की टीम ने सोमवार को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में संचालित भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का निरीक्षण किया। प्रोफेसर मोहन राघवन की अध्यक्षता में आई पॉच सदस्यीय रिव्यू कमेटी ने भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के समन्वयक प्रो. हरी प्रसाद अधिकारी की मौजूदगी में सरस्वती ग्रंथालय में शिल्पशास्त्र विषयक पांडुलिपियों का अवलोकन किया।

समिति के सदस्य डॉ. मधुसूदन मिश्र ने मुख्य भवन स्थित वेधशाला का पर्यवेक्षण करवाया। केंद्र में हो रहे शोध कार्यों की समीक्षा के दौरान केंद्र के प्रधान गवेषक डॉ. ज्ञानेंद्र सापकोटा ने अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यों को प्रस्तुत किया। डॉ सापकोटा ने केंद्र में हो रहे आयोजनों एवं गतिविधियों को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि अभी तक 17 पांडुलिपियों पर शोध कार्य पूर्ण हो चुके हैं। शिल्पकला व्याख्यानमाला के अंतर्गत 30 व्याख्यानों की परिकल्पना है, जिनमें अब तक 12 व्याख्यान संपन्न हुए हैं,15 ग्रंथों पर टीका लेखन तथा शोधपत्र लेखन का भी कार्य हो रहा है। पांडुलिपियों के अनुलेखन एवं टीकालेखन के लिए प्रशिक्षु योजना भी संचालित है। प्रधान गवेषक ने केंद्र के प्रस्तावित भविष्य के कार्ययोजनाओं को भी बताया।

इस अवसर पर आईआईटी हैदराबाद के प्रो. मोहन राघवन ने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालयों तथा पारंपरिक ज्ञान संस्थानों को भारतीय ज्ञान परंपरा की अक्षुण्णता के लिए आगे आना निश्चित ही देश की शैक्षणिक नेतृत्व को तरासते हुए विश्वगुरु भारत की संकल्पनाओं को साकार होने का शुभ संकेत है। यहाँ से भारतीय, भारतीयता और भारत का वास्तविक संदेश वैश्विक स्तर पर स्थापित होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण

   

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