कैंप खुलने से पूवर्ती गांव के सभी युवा व पुरुष भाग गए गांव छोड़कर

एसटीएफ वार रूम़

सुकमा, 23 फरवरी(हि.स.)। जिला मुख्यालय से करीब 120 किमी दूर स्थित बीजापुर-सुकमा की सीमा में स्थित ग्राम पूवर्ती जहां से नक्सलियों की स्वयंभू जनताना सरकार का संचालन होता था। यह इलाका नक्सलवाद के लिए सुरक्षित माना जाता था। यह गांव एक करोड़ के इनामी नक्सली हिड़मा एवं 25 लाख के इनामी बारसे देवा का पैतृक गांव है। यहां कैंप खुलने से जवानों का कब्जा हो गया है। कैंप खुलने से पहले पूरे गांव से युवा व पुरुष पूवर्ती गांव छोडक़र फरार हो गए हैं, गांव में सिर्फ महिलाएं व बुजुर्ग ही दिखाई दे रहे थे।

वहां मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पहली बार जवान पहुंचे और कैंप स्थापित किया। जिससे ग्रामीण डरे हुए थे, इसलिए गांव छोडक़र भाग गए हैं। पुलिस की माने तो इस गांव से करीब 70 नक्सली संगठन में काम कर रहे है। यहां गांव में सात अलग-अलग पारे है और उसमें करीब एक हजार लोग निवासरत है।

जवान जैसे-जैसे गांव के अंदरूनी इलाके में पंहुच रहे हैं, यहां नक्सलियों की बनाई गई पूरी व्यवस्था का खुलासा होने लगा है। गांव में स्कूल से लेकर मुरुम सड़क का निर्माण नक्सलियों ने कराया है। गांव से 100 मीटर दूर 04 एकड़ का एक खेत जो काफी हरा-भरा था, उसमें विभिन्न प्रकार की सब्जी लगी हुई थी। नारियल के पेड़ व चारों और से तारबंदी की हुई है। बताया गया कि ये खेती नक्सल संगठन की और से की गई है। जिसकी सब्जी व फलों का सेवन सिर्फ नक्सली करते हैं। यहां बहुत बड़ा एक तालाब है, वहां आस-पास नक्सलियों द्वारा मोर्चा बनाया गया है, और तालाब में मछली पालन का काम किया जाता था।

गांव के भीतर मुरुम सड़क का निर्माण कराया गया था। गांव के बंडीपारा जहां नक्सलियों के आराम करने के लिए विशेष कमरे का निर्माण किया गया था। पुलिस की माने तो वहां नक्सल संगठन के नेता रुकते थे और बैठकें लेते थे। अब वहां पर एसटीएफ के जवानों ने वॉर रूम बना दिया। बांस की लकड़ी व गोबर से लिपे हुए कमरे में बैटरी रखी हुई थी। वहां भीतर खाना बनाने का समान व चूल्हा बनाया हुआ था। चारों तरफ बांस की लकड़ी व भीतर हरी चटाई लगाई हुई थी जिसमें गर्मी के दिनों में हवा आ सके। वहीं दरवाजे के पीछे वर्णमाला लिखा हुआ था, मतलब वहां बच्चों को पढ़ाने का भी काम किया जाता रहा होगा।

एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि गांव के पास नक्सली अपने लिए यहां सब्जी उगाने का काम करते थे। गांव में नक्सलियों के आराम करने के लिए कमरा बना दिया था। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि जवानों से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम आपकी सुरक्षा के लिए आए हैं। बस आप लोग नक्सलियों के लिए काम नहीं करें। शासन की योजना का लाभ जल्द मिलने लगेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहन ठाकुर /राकेश

   

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