एक माह की नवजात की सांसें थमी तो डॉक्टर ने बचाई जान

कोटा, 26 फरवरी (हि.स.)। कोटा में महावीर ईएनटी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक माह की नवजात बालिका की उखडती सांसोें को थाम लिया। इस बच्ची को कोएनल अट्रेसिया नामक जन्मजात बीमारी थी, जिसमें नाक के पीछे का हिस्सा हड्डी से पूरी तरह बंद था। ईएनटी सर्जन डॉ विनीत जैन एवं अनेस्थेटिस्ट डॉ आरती गुप्ता ने बताया कि नवजात बालिका मात्र एक माह की होने से ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने हिम्मत जुटाकर इसकी जटिल सर्जरी की। सर्जरी के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक शारदा ने भी उसका उपचार किया।

डॉ. जैन ने बताया कि आपॅरेशन के लिये पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी सेट की मदद से नवजात की नाक में एक ट्यूब डाली गई जिससे टेलिस्कॉप, लेजर और सक्शन एक साथ जा सके। कई जगह रिकैनेलाइजेशन के लिये ड्रिल किया जाता है लेकिन इससे काफी खून बह जाता है। यदि नवजात के शरीर से 30-40 मिलीलीटर से ज्यादा खून निकल जाए जो उसकी मौके पर मौत हो सकती है। एण्डोस्कॉपी सर्जरी में खून का रिसाव काफी कम होने से यह सुरक्षित रही। इसमें रिकवरी भी तेजी से हो रही है।

क्या है कोएनल अट्रेसिया -

ईएनटी चिकित्सक के अनुसार, यह एक असाधारण स्थिति होती है। प्रत्येक 20 हजार नवजात मे से एक मे दोतरफा कोएनल अट्रेसिया हो सकता है। लड़को की तुलना मे लड़कियों मे कोएनल अट्रेसिया होने की संभावना अधिक होती है। जन्म होते ही नवजात की पसलियां चलना, बार बार नीला पड़ना और रोने पर सही हो जाना, ऐसी स्थिति की संभावना को दर्शाता है।

यह जानकारी आवश्यक -

विशेषज्ञों के अनुसार, नवजात शुरु के 6 हफ्ते सिर्फ नाक से सांस ले सकते है। रोने के अलावा, नवजात शिशु मुँह से सॉस नही ले सकते। इसलिये नासिका का खुला रहना अत्यन्त आवश्यक रहता है। प्रत्येक जन्मजात की नाक की पेटेन्सी, सक्शन कैथेटर द्वारा जॉच की जानी चाहिए। यह स्थिति एक मेडिको सर्जिकल इमरजेन्सी होती है।जब तक ऑपरेशन नही हो सके, तब तक मैकगवर्न तकनीक द्वारा नवजात को सांस दी जा सकती है। गर्भावस्था में, थाइराइड के लिये मां यदि कारबीमाजोल का सेवन करती है तो नवजात में यह स्थिति बनने की संभावना हो सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/ईश्वर

   

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