गुमनामी में वजूद से लड़ रही हैं दुर्लभ वॉल पेटिंग्स

सुमवां के ऐतिहासिक राम मंदिर की हालत जर्जर
लखनपुर।  श्री राम जन्म के बाद खुशियों से झूमती अयोध्या नगरी हो या फिर वनवास काल के किस्से और रावण के साथ वानर सेना का युद्ध। एक से बढ़कर एक मुंह बोलते दृश्यों की श्रृंखला दर्शाती सुमवां स्थित ऐतिहासिक राम मंदिर की वॉल पेंटिंग दुर्लभ और अदभुत होने के बावजूद गुमनामी झेल रही है। एक सदी से भी अधिक पुरानी धरोहर जिला मुयालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही है लेकिन ऐतिहासिक स्थापत्य पर विरली चित्रकला की धरोहर सरकारी नजरे इनायत की बाट जोह रही है। सदियों बाद भी रंगों में वही चमक और कूची का मुंह बोलता हुनर हर देखने वाले को भौचक करता है। बेहद दिलचस्प है कि मंदिर की दीवारों पर एक तरफ जहां रामायण के चुनिंदा दृश्यों को वॉल पेंटिंग से दीवारों पर बखूबी उकेरा गया है तो दूसरी तरफ महाभारत काल में श्री कृष्ण की लीलाओं के साथ महाभारत युद्ध के दृश्यों की पूरी श्रृंखला है। जिसे न तो कद्रदान मिल पाए हैं और ना ही संरक्षक। नतीजतन बेमिसाल वॉल पेटिंग महज एक मंदिर की दीवारों की रौनक बढ़ाने तक ही सीमित है। यह नायाब पेंटिंग आज भी उसी चमक के साथ मौजूद है लेकिन सरकारी उपेक्षा की वजह से दीवारों का वजूद खतरे में है।
संरक्षण की मांग उठा रहे ग्रामीण
 यह ढांचा न तो किसी सरकारी एजेंसी द्वारा संरक्षित है और ना ही सरकारी रिकॉर्ड में इसे तवज्जो देने के लिए कोई स्थान दिया गया है। लेकिन ऐतिहासिक स्थापत्य शैली और कला के लिहाज से यह ढांचा जिले के चुनिंदा विरासती ढांचों में से एक है। सुमवां गांव में स्थित श्री राम मंदिर परिसर दो भागों में बंटा हुआ है। प्रवेशद्वार के हिस्से में सराय मौजूद है तो दूसरा भाग श्री राम मंदिर के ढांचे का है। प्रवेशद्वार वाला हिस्सा दो मंजिला है जिसमें सराय हुआ करती थी। आज भी झरोखे, अलग अलग कमरे मौजूद हैं। लेकिन रखरखाव नहीं होने की वजह से यह बुरी तरह से जर्जर है। यहां तक कि अब इस इमारत के दूसरे माले पर जाना भी एक तरह से वर्जित हो गया है। दूसरे भाग में मंदिर हैं जिसकी दीवारों पर वॉल पेटिंग और केंद्र में मूर्तियां स्थापित हैं। स्थानीय निवासी रवि कुमार ने बताया कि मंदिर के मुयद्वार पर दी गई जानकारी के अनुसार इसका निर्माण जैलदार फूला ने करवाया था जिसे जैलदार कान सिंह ने संकल्प और मंदिर स्थापना उपरांत बुल्लो पंडित के सुपुर्द कर दिया। सरकारी संरक्षण के लिए ग्रामीण लंबे समय से मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। गांव के स्थानीय लोगो के अनुसार वर्ष में रामनवमीं, शिवरात्रि और कृष्ण जन्माष्टमी पर बड़े आयोजन होते हैं। गांव की धरोहर को संरक्षित घोषित कर इसे बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

   

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