कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक: मंत्री धर्मपाल सिंह

- किसान जब पशुपालन से जुड़ेगा तो आय में होगी वृद्धि

कानपुर, 14 मार्च (हि.स.)। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है, इसलिए कृषकों को पशुपालन से जोड़ा जाए, किसान जब पशुपालन से जुड़ेगा तो उसकी आय में वृद्धि होगी। उक्त बात गुरूवार को कानपुर जनपद भ्रमण के लिए पहुंचे उप्र सरकार के पशुधन एवं दुग्ध विकास तथा राजनीतिक पेंशन विभाग मंत्री धर्मपाल सिंह ने सर्किट हाउस सभागार में समीक्षा बैठक में कही।

उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग समाज से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण विभाग है, पशुओं की सेवा करना हमारा धर्म है, लेकिन विभाग केवल निराश्रित गोवंश को संरक्षित करने तक ही सीमित न रहे। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक है, इसलिए कृषकों को पशुपालन से जोड़ा जाए। किसान जब पशुपालन से जुड़ेगा तो उसकी आय में वृद्धि होगी और कृषकों की आय दोगुनी करने का हमारा जो प्रयास है, हम उसको सार्थक कर पायेंगे। इसके लिए पशुपालन विभाग की बहुत सी योजनायें हैं, जिनसे कृषकों को जोड़कर उसका लाभ दिलाया जाये। पशुपालन विभाग के अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मिलकर किसानों को योजनाओं की जानकारी प्रदान करें जिससे अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सके।

उन्होंने कहा कि शतप्रतिशत गोवंशों को संरक्षित कराया जाए। गौशालाओं में उनका भरण पोषण व देखभाल अच्छी हो यह सुनिश्चित कराया जाए। दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने व समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण दुग्ध की पूर्ति हो सके इसके लिए नस्ल सुधार पर कार्य किया जाए तथा पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान हेतु प्रेरित किया जाए। कृत्रिम गर्भाधान से (एआई) से दो लीटर दूध देने वाली देशी गाय अब दस लीटर दूध देगी, ऐसी व्यवस्था बनायी गयी है। इसके साथ ही संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु टीकाकरण व उपचार की गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। बधियाकरण का कार्य भी प्राथमिकता से कराया जाए, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अन्तर्गत गोवंशों को किसानों व पशुपालकों को सुपुर्दगी कराई जाए।

उन्होंने कहा कि आज के समय में बीमारियों की भरमार है उसका कारण है कृषकों द्वारा रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर खेती की जाती है। स्वस्थ समाज के लिए यह आवश्यक है कि किसानों को गौ आधारित प्राकृतिक खेती करने हेतु प्रेरित किया जाए, इससे उनकी लागत कम आएगी। साथ ही आय में वृद्धि होगी और हम समाज को स्वस्थ जीवन प्रदान कर पाएंगे।

गौशालाओं को बनाए आत्मनिर्भर

मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए, इसके लिए दुग्ध के साथ-साथ गाय के गोबर से उबले बनाने के कार्य में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़ा जाए। प्रत्येक गौआश्रय स्थल में एक गौकाष्ट की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए, इससे समूह की महिलाओं की आमदनी बढ़ेगी तथा गौशालायें भी आत्मनिर्भर बनेगी।

जनप्रतिनिधियों से मिलकर एक-एक गोवंश को गोद दिलाया जाए, वार्ता कर यह सुनिश्चित कराया जाए। ईयर टैगिंग के कार्य को गम्भीरता से लिया जाए। शतप्रतिशत गौआश्रय स्थलों के गोवंशों की ईयर टैगिंग कराने के बाद शेष बचे हुए गोवंशों की ईयर टैगिंग कराई जाए, जिससे एक भी गौवंश किसानों के खेत व सड़क में न दिखाई दे।

विभाग द्वारा अच्छा कार्य किया गया है लेकिन अभी और कड़े परिश्रम की आवश्यकता है। ब्लाक स्तर, ग्राम पंचायत स्तर पर बैठके कर पशुपालकों को प्रेरित किया जाए कि दूध निकालने के बाद वह अपने गोवंश को न छोड़े। इसके लिए प्रत्येक जनपद में एक टोल फ्री नम्बर जारी किया जाए। यदि कोई पशुपालक गोवंश को छोड़ना चाहता है तो वह टोल फ्री नम्बर पर फोन कर सूचना दे और पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालक के घर से गोवंश को लाकर निराश्रित गौशालाओं में संरक्षित कराया जाए।

बैठक में ब्लॉक प्रमुख कल्याणपुर अनुराधा अवस्थी, अपर निदेशक पशुपालन डॉ. अवनीश कुमार भट्ट, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कानपुर डॉ. आई.डी.एन. चतुर्वेदी सहित मण्डल के सभी जनपदों के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी, उप पशु चिकित्सा अधिकारी सहित संबंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित

   

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