मां चंद्रिका के दर्शन मात्र से होतीं हैं भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण

महोबा, 13 अप्रैल (हि.स.)। जनपद मुख्यालय में विराजमान मां बड़ी चंद्रिका देवी की महिमा निराली है। किवदंती है कि रणभूमि में जाने से पहले बुंदेलखंड के वीर आल्हा ऊदल मां की आराधना करते थे और फिर युद्ध के लिए कूच कर दुश्मनों पर विजय प्राप्त करते थे। वर्ष में शारदीय एवं चैत्र नवरात्र में माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है।

मां बड़ी चंद्रिका मंदिर और देवी मां की प्रतिमा की स्थापना तत्कालीन राजा कीर्ति चंद्रवर्मन ने 831ई0 में कराई थी। यहां 10 फीट ऊंची मां चंद्रिका की विशाल प्रतिमा है। इतिहासकार बताते हैं कि आल्हा ऊदल दोनों वीर योद्धा युद्ध में जाने से पहले मां का आशीर्वाद लेते थे और दुश्मन को परास्त कर उन पर विजय हासिल करते थे। मां चंद्रिका आल्हा ऊदल की आराध्य देवी बताई जाती हैं।

मंदिर के पुजारी पंडित चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले तक मंदिर के चारों ओर जंगल था। यहां वर्ष के दोनों नवरात्र में मेला लगता है। छोटी-बड़ी दुकानें सड़क किनारे सजती हैं। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में भंडारा का आयोजन कराया जाता है। बुंदेलखंड समेत मध्य प्रदेश के कई जिलों के भक्त यहां माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। मां चंद्रिका सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ उपेंद्र/मोहित

   

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