बिजली उत्पादन के निजीकरण को मुद्दा न बनाने पर उपभोक्ता परिषद ने जतायी नाराजगी

लखनऊ, 16 अप्रैल (हि.स.)। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने राजनीतिक दलों द्वारा घोषणा पत्र में बिजली विभाग के निजीकरण का मुद्दा न उठाये जाने पर नाराजगी जाहिर की है। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि वर्तमान में 51 प्रतिशत बिजली उत्पादन पर निजी घरानों का कब्जा है, जिसे रोकने की जरूरत थी, लेकिन किसी ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र नहीं किया।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी राजनीतिक दल बाबा साहब के विचारों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता पोस्ट वॉर डेवलपमेंट ऑफ इलेक्ट्रिक पावर इन इंडिया के तहत रिकंस्ट्रक्शन पॉलिसी कमेटी की बैठक में बाबा साहब ने कहा था कि बिजली सस्ती नहीं बहुत सस्ती होनी चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र में होनी चाहिए यानी कि निजीकरण नहीं। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि निजीकरण का इसलिए उपभोक्ता परिषद विरोध करता है, क्योंकि सामने आ चुका है उनकी सच्चाई कोरोना काल में निजी घरानों ने चाहे वह बिजली क्षेत्र में रहे हो या टीवी केबिल या अन्य सेवा सभी ने आपदा में अवसर तलाशे। वहीं सार्वजनिक सेवाएं पूरी तन्मयता से लगी रहीं।

देश व प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की रायशुमारी के आधार पर उपभोक्ता परिषद ने भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी व आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्षों को अपने-अपने घोषणा पत्र व संकल्प पत्र में विद्युत उपभोक्ताओं की सर्वसम्मत से कुछ मांगों को रखने की मांग उठाई थी और सभी को प्रस्ताव भेजा था। अब जब भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी और आरजेडी द्वारा अपना चुनावी घोषणा पत्र व संकल्प पत्र जारी किया जा चुका है, तो उसमें यह बात तो सिद्ध हो गई कि बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं पर सभी राजनीतिक पार्टियों के पास कोई पारदर्शी दूरगामी विजन नहीं है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों बाबा साहब के विचारों को आगे बढ़ाने की बात करती है। उन्हें शायद यह नहीं पता कि पोस्ट बार डेवलपमेंट ऑफ इलेक्ट्रिक पावर इन इंडिया के तहत नई दिल्ली में रिकंस्ट्रक्शन पॉलिसी कमेटी की बैठक में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि बिजली सस्ती नहीं बहुत सस्ती होनी चाहिए और रेलवे की तरह सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली का होना आवश्यक है।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/मोहित

   

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