राहुल के अमेठी आने से स्मृति ईरानी के बीच होगी कांटे की टक्कर

लखनऊ, 25 अप्रैल (हि.स.)। अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की बढ़ी संभावना के बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश आ गया है। उनके आने पर लड़ाई कांटे की होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि एक ओर जहां स्मृति इरानी ने पांच साल तक दौरा किया है। एक-एक गांव पर ध्यान दिया है। वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी पांच साल न के बराबर अमेठी में समय दिये हैं।

पिछले चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो स्मृति इरानी को 4,68,514 वोट मिले थे और राहुल गांधी को 4,13,394 वोट मिले थे। स्मृति ने राहुल गांधी को 55,120 वोटों से हराया था। इसके बाद से ही राहुल गांधी का मोह भंग हो गया था। इस बीच कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राबर्ट बाड्रा द्वारा अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छा के बाद सोनिया गांधी राहुल गांधी को अमेठी से भी लड़ाना चाहती हैं, जिससे उत्तर का वर्चस्व पर भी प्रियंका का नहीं, राहुल का वर्चस्व माना जाय।

अभी यह खबर आ रही है कि 26 अप्रैल को वायनाड में चुनाव होने के बाद राहुल गांधी अमेठी आ सकते हैं और सब ठीक रहा तो वे एक मई को पर्चा दाखिला करेंगे। इसकी भनक लगते ही अमेठी कांग्रेस कार्यालय की भी साफ-सफाई और रंग-रोगन हो गया। वहां कार्यकर्ताओं में भी जोश भर गया है। हालांकि अब भी अमेठी में लड़ाई कठिन है। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि राहुल गांधी यदि नहीं होते तो वहां लड़ाई एक तरफा थी, राहुल गांधी के आने के बाद यहां लड़ाई दिखने लगेगी।

जगदीशपुर के अवधेश शुक्ला का कहना है कि यहां स्मृति इरानी का काम हर तरफ दिखता है, लेकिन उनके सहयोगी से लोगों को ज्यादा नाराजगी है। वे सिर्फ किसी जाति विशेष का सहयोग पर ज्यादा जोर देते हैं। वहीं राम कुमार का कहना है कि टेस्ट बदलते रहना चाहिए। सरकार ने भले बहुत ज्यादा काम किया है, लेकिन यदि कोई दूसरा दमदार मैदान में हो तो उसको भी मौका देने में क्या हर्ज है।

स्मृति ईरानी की तुफानी दौरा का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि गुरुवार को एक दिन में उनका 17 कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में लगा है। हर दिन रात को नौ बजे तक वे दौरा करती हैं। स्मृति की स्थिति यह है कि वे हर गांव, हर बूथ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। एक-एक व्यक्ति से मिलने की कोशिश में दिन-रात एक कर दी हैं। ऐसे में राहुल गांधी उनकी अपेक्षा कहां तक अमेठी के लोगों के बीच अपनत्व को दिखा पाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा।

उधर अमेठी लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभाओं की बात करें तो एक पर भी कांग्रेस उम्मीदवार को विजय नहीं मिली। कांग्रेस के सहयोगी सपा को दो विधानसभा सीटों अमेठी और गौरीगंज सपा के पास है। शेष जगदीशपुर, सलोन और तिलोई में भाजपा के विधायकों को विजय मिली थी। इसमें भी गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह सपा से बगावत कर चुके हैं। उनके भाई और गौरीगंज के ब्लाक प्रमुख उमेश प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हो गये हैं। अभी हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव में अमेठी की विधायक महाराजी देवी ने वोट ही नहीं किया था।

इस संबंध में अमेठी के वरिष्ठ पत्रकार के.के. मिश्रा का कहना है कि राहुल गांधी के आने के बाद स्मृति इरानी का राह कठिन होगा। इससे लड़ाई कठिन हो जाएगी, लेकिन इसके बाद भी जीत-हार के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। दोनों का पलड़ा बराबर रहने की संभावना है। इसमें जीत-हार का अंतर बहुत कम रह जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/बृजनंदन

   

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