राेहतक: दिव्यांगता को लेकर विश्व भ्रमण पर निकला 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक

-नगराधीश अंकित कुमार ने सचिवालय में किया स्वागत

-पहले भी 59 देशों में दे चुके शांति व भाईचारे का संदेश

रोहतक 16 मई (हि.स.)। समाज सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर इंसान के अंदर समाज सेवा कर जज्बा हो तो वह किसी भी उम्र में समाज सेवा कर सकता है। अपना लक्ष्य बना कर जरूरतमंद लोगों की मदद करना एक मिशन के रूप में जब कार्य किया जाता है, तो उसे सफलता की ओर निरंतर आगे बढ़ाता है। ऐसा मानना है हारोहल्ली, रामनगर (कर्नाटक) निवासी 65 वर्षीय बी वी नारायणा का।

कोई भी व्यक्ति अज्ञानता के चलते दिव्यांग न बने। इस संदेश को लेकर बीवी नारायणा मोटर चालित तिपहिया वाहन पर विश्व भ्रमण के लिए निकले हुए हैं। बीवी नारायणा स्वयं दिव्यांग है उनके सीधे पैर का लिगामेंट टूटा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद भी उनके हौसले में कोई कमी नहीं है। रोहतक के लघु सचिवालय पहुंचने पर नगराधीश अंकित कुमार ने देश के इस वरिष्ठ नागरिक का स्वागत किया और उनके जज्बे को भी सलाम किया।

अंकित कुमार ने कहा कि ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो समाज सेवा की भावना को लेकर व्यक्तिगत तौर पर इस प्रकार के मिशन पर निकलते हैं। बीवी नारायण ने बजाज अवेंजर बाइक को लेकर अपनी मोटर चालित तिपहिया वाहन को तैयार किया है। इस वाहन की सीटों व अन्य स्थानों पर लोगों को जागरूक करने के संदेश लिखे गए हैं। अपने संदेश में कहा है कि अभिभावक अपने बच्चों को समय पर पोलियो ड्रॉप्स पिलवाएं। दूसरे संदेश में कहा गया है कि विवाह से पहले दोनों लडक़ा व लडक़ी ब्लड ग्रुप की जांच करवाए। दोनों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग रहना चाहिए ताकि शिशु में दिव्यांगता की आशंकाओं को शुन्य किया जा सके।

बीवी नारायण ने 24 मार्च को अपनी मां से आशीर्वाद प्राप्त करके अपने जिला रामनगर के हारोहल्ली स्थान से इस यात्रा को आरंभ किया था। वह अब तक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब को कवर करते हुए हरियाणा में आ चुके हैं। इसके बाद वे दिल्ली जाएंगे जहां से कनाडा का वीजा प्राप्त करेंगे। इस प्रकार से विश्व भ्रमण करते हुए कनाडा पहुंचेंगे और फिर उनकी वापसी होगी। बीवी नारायणा वर्ष 2014 में उस समय दिव्यांग हो गए थे, जब वह पैदल जा रहे थे और दो युवाओं ने बाइक रेस लगाते हुए उन्हें दुर्घटनाग्रस्त कर दिया था। बीवी नारायणा इससे पहले 1978 में शांति, भाईचारा व दिव्यांगता को लेकर देशभर में साइकिल के माध्यम से यात्रा कर चुके हैं। इसके उपरांत उन्होंने साइकिल के माध्यम से ही 1978 से लेकर 1980 तक साढे 18 महीने में 59 देशों की यात्रा करके अपना संदेश दिया था। उनका कहना है कि उनके मुस्लिम दोस्त जिसे वह दादा कहते हैं, उन्होंने ही विश्व भ्रमण के लिए उन्हें प्रेरित किया था।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिल

   

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