तोलोंग सिकी लिपि को विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में शामिल करने की रखी मांग

रांची, 17 नवंबर (हि.स.)। आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव के नेतृत्व में सोमवार को रांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन में कुड़ुख भाषा की पारंपरिक तोलोंग सिकी लिपि को सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई।

संघ ने कहा कि तोलोंग सिकी लिपि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान, भाषाई विरासत और इतिहास का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए इसका विश्वविद्यालय स्तर पर अध्ययन आवश्यक है। लेकिन कुछ चुनिंदा प्रोफेसर इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। एसीएस ने चेतावनी दी कि लिपि किसी व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे समाज की धरोहर है, और इसका विरोध करने वाले तत्वों का कड़े रूप में जवाब दिया जाएगा।

मौके पर केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा कि हम अपनी सांस्कृतिक और भाषाई विरासत की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।

जिला अध्यक्ष राजू उरांव ने कहा कि संघ सभी विश्वविद्यालयों में इस लिपि को पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए पूरी तरह सक्रिय है।

संघ ने पीएचडी स्कॉलर्स के लिए गाइड की उपलब्धता और सिंडिकेट बैठकों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की भी मांग की।

मुलाकात करने के दौरान मुख्य रूप से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कॉलेज अध्यक्ष विवेक तिर्की, संदीप उरांव, बीरेंद्र मुंडा सहित कई छात्र–छात्राएं मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

   

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