सोनीपत: प्राकृतिक खेती से भूजल संरक्षण से किसान नई दिशा की ओर
- Admin Admin
- Jul 22, 2025
सोनीपत, 22 जुलाई (हि.स.)। इस समय जब रासायनिक खादों और अत्यधिक जल दोहन से मिट्टी की
उर्वरता और भूजल स्तर में गिरावट चिंता का विषय बन चुकी है, ऐसे में प्राकृतिक खेती
एक नई आशा की किरण बनकर उभरी है। इसी दिशा में सोनीपत जिले में कृषि विभाग द्वारा एक
सराहनीय पहल की जा रही है, जो किसानों की आय बढ़ाने, पर्यावरण संतुलन स्थापित करने
में सहायक होगी।
सोनीपत जिले में हर ब्लॉक में 125 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक
खेती क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इसके अंतर्गत अब तक पांच हजार से अधिक किसान पंजीकरण
करवा चुके हैं। किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक, लाभ और प्रशिक्षण देने के लिए
ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण शिविर और गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।
प्राकृतिक खेती अपनाने से रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी
और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक ब्लॉक में दो कम्युनिटी
रिसोर्स पर्सन नियुक्त किए जाएंगे, जो किसानों को खेतों की निगरानी, फसल रिपोर्टिंग
और तकनीकी सलाह देंगे। 24 जुलाई को झिंझौली गांव में एक विशेष प्रशिक्षण शिविर का
आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश से विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। यह शिविर किसानों
को प्राकृतिक खेती के सूक्ष्म पहलुओं से अवगत कराएगा।
जून 2025 के सर्वे के अनुसार सभी ब्लॉकों में भूजल स्तर में
सुधार देखने को मिला है। उदाहरणस्वरूप गन्नौर ब्लॉक में औसतन स्तर 20.75 मीटर से घटकर
19.99 मीटर रह गया है, जबकि राई ब्लॉक में यह घटकर 15.44 मीटर हुआ। खेड़ी गुर्जर में
विशेष सुधार दर्ज हुआ जहां भूजल स्तर 34.7 मीटर से घटकर 29.21 मीटर हो गया। कथूरा ब्लॉक
के रिढ़ाना गांव में मात्र 0.24 मीटर पर जल उपलब्ध है, जो जिले में सबसे बेहतर स्थिति
है। सोनीपत के कृषि उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा ने मंगलवार को बताया
कि प्राकृतिक खेती परियोजना को लेकर किसान उत्साहित हैं। जिले में पांच हजार से अधिक
किसानों ने पंजीकरण करवाया है। प्रत्येक ब्लाक में 125 एकड़ भूमि का क्लस्टर तैयार
किया जाएगा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना



