अपनी स्मृति पर भरोसा करता है भारतः डॉ. कपिल तिवारी

दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान का युवा सामाजिक विज्ञान संकाय के लिए दक्षता निर्माण कार्यक्रम

- दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान का युवा सामाजिक विज्ञान संकाय के लिए दक्षता निर्माण कार्यक्रम शुरूभोपाल, 22 अप्रैल (हि.स.)। संस्कृति अध्येता पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी ने कहा कि भारत में वाचिक परंपरा में सभ्यता विकसित हुई है। हमारे यहां कृषि, हस्तशिल्प लोकनृत्य जैसे विषयों के शास्त्र नहीं हैं, उन्हें वाचिक परंपरा में ही विकसित किया गया है। भारत स्मृति पर भरोसा करता है। हमारा स्मृति वांग्मय समृद्ध रहा है। आयुर्वेद की पहली संहिता में उल्लेख है कि हमारे ऋषियों ने वृक्षों से बात करके उनके गुण-धर्म को जाना और औषधि के रूप में उनका उपयोग किया।डॉ. तिवारी मंगलवार को भोपाल के दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद के सहयोग से आयोजित दो सप्‍ताह के युवा सामाजिक विज्ञान संकाय के लिए दक्षता निर्माण कार्यक्रम (कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम) के शुभारम्भ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। दो सप्‍ताह चलने वाले इस कार्यक्रम में देश भर से 33 फैकल्‍टी प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।मुख्‍य वक्‍ता डॉ. तिवारी ने कहा कि हमें औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होना चाहिए। भारतीय दृष्टि से ही विषयों का अध्ययन करना चाहिए। सत्र के मुख्‍य अतिथि उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने अपनी दक्षता की पहचान करने पर बल दिया और सामाजिक विज्ञान में अध्‍ययन की आवश्‍यकता को रेखांकित किया। एनआईटीटीटीआर के निदेशक डॉ चंद्रचारु त्रिपाठी ने कार्यक्रम को अत्‍यन्‍त उपयोगी पहल बताया।संस्थान के अध्यक्ष अशोक कुमार पाण्‍डेय ने शिक्षा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यूरोप केंद्रित शिक्षा व्यवस्था को हमें भारत केंद्रित बनाना है। करियर के साथ कैरेक्टर पर भी फोकस होना चाहिए। संस्थान के निदेशक डॉ मुकेश कुमार मिश्रा ने कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात् अर्थशास्त्री प्रो वीके मल्होत्रा ने सोशल साइंस रिसर्च के विभिन्न आयामों को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि भारत में आज रिसर्च को बढ़ाने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन प्रतिष्ठा के माध्यम से रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए रोडमैप बनाया है। कार्यक्रम के पहले तकनीकी सत्र में राष्‍ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रोफेसर डॉ अमिताभ पांडे ने पर्यावरण एवं समुदायों से संबंधित विषय पर तकनीकी व्याख्यान दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

   

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