योगमाया के अट्टहास से थर्राया कंस का अहंकार

मीरजापुर, 29 मई (हि.स.)। भागवत कथा के चौथे दिन तपोनिष्ठ कथावाचक डॉ. दुर्गेश आचार्य ने श्रीकृष्ण के जन्म और वामन अवतार की मार्मिक गाथा सुनाकर उपस्थित जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया। हरिद्वार से पधारे डॉ. आचार्य ने कथा के माध्यम से बताया कि सत्कर्म और उत्तम चरित्र की संगति से ही पुण्य का उदय होता है।

उन्होंने कहा कि द्वापर युग में कंस अपनी बहन देवकी और श्रीहरि वासुदेव को रथ पर बिठाकर कहीं ले जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई तेरी बहन की आठवीं संतान तेरा संहार करेगी। भयभीत कंस ने तलवार उठाई परंतु समझौते के बाद देवकी-वासुदेव को कारागार में डाल दिया। उसी कारावास में श्रीहरि ने देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया।

कथा में विस्तार से वर्णित किया गया कि सत्य की रक्षा के लिए विष्णु भगवान ने ब्रह्मा की स्तुति से वामन अवतार धारण कर राजा बलि को उद्धार दिया। डॉ. आचार्य ने रावण, कंस और कौरवों की कुसंगति का उदाहरण देते हुए चेतावनी दी कि दुष्टों के संगति से राक्षसी प्रवृत्तियां बलवती होती हैं।

कार्यक्रम में कुल पुरोहित आचार्य अशोक शुक्ला के नेतृत्व में यजमान रामेश्वर नाथ तिवारी, आदित्यनाथ, अवधेश, दिनेश, प्रदीप, संतोष, संदीप, आशीष, जयकृष्ण एवं सिद्धार्थ ने वेद-शास्त्रों की आरती उतारकर प्रभु की लीला का गुणगान किया। अंत में बालकृष्ण की मनोहारी झांकी ने समारोह को और भी गरिमामय बना दिया।

-------------------

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

   

सम्बंधित खबर