ग्यारहवीं प्रवेश कोटा को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों ने दी कोर्ट में चुनौती
- Admin Admin
- Jun 12, 2025

मुंबई, 11 जून (हि.स.)। महाराष्ट्र में ग्यारहवीं प्रवेश आरक्षण कोटा का मामला बांबे हाई कोर्ट पहुंच गया है। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों ने महाराष्ट्र सरकार के उस शासनादेश को चुनौती दी है, जिसमें संस्थानों को संवैधानिक और सामाजिक आरक्षण लागू करके एफवाईजेसी में प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है।
अल्पसंख्यक ट्रस्टों द्वारा संचालित प्रथम वर्ष के जूनियर कॉलेजों में प्रवेश के लिए एससी, एसटी और ओबीसी कोटा लागू करने का निर्देश देने वाले शासनादेश को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि ऐसे संस्थान, चाहे सहायता प्राप्त हों या गैर-सहायता प्राप्त, संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए ऐसे आरक्षण लागू करने से बाहर हैं। न्यायाधीश एमएस कार्णिक और न्यायाधीश एनआर बोरकर की पीठ ने बुधवार को सरकारी वकील नेहा भिड़े से पूछा कि क्या सरकार 6 मई को जारी जीआर में शुद्धिपत्र जारी करने या इस सेक्शन को वापस लेने के लिए तैयार है। आपकी सरकार ने अल्पसंख्यक संस्थानों को शासनादेश के दायरे में क्यों लाया। अल्पसंख्यक संस्थानों को इससे हटा दें। हर बार आपको कोर्ट से आदेश लेने की आवश्यकता नहीं होती। इसे वापस लेना या शुद्धिपत्र जारी करना कठिन नहीं है। सरकार की एक वास्तविक गलती हो सकती है, जिसके लिए शुद्धि पत्र जारी किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन कर सकते हैं। साल 2019 में भी इसी तरह का जीआर जारी किया गया था, लेकिन कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार