पुरुलिया में मंथर गति से चल रहा जल जीवन मिशन का कार्य, पानी की किल्लत से परेशान कई गांव

पुरुलिया, 13 दिसंबर (हि.स.)।

पेयजल किसी भी समाज की मूल आवश्यकता है, लेकिन पुरुलिया जिले में आज भी यह बुनियादी सुविधा अधूरी है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत जिले के लगभग 3.67 लाख ग्रामीण परिवारों तक नल के माध्यम से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि अब तक केवल करीब 1.78 लाख परिवारों को ही इस योजना का लाभ मिल सका है। शेष परिवार आज भी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य के जनस्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पर है, लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक है। कई गांवों में पाइपलाइन बिछा दी गई, पर जलापूर्ति शुरू नहीं हुई। कहीं टंकी बनकर तैयार है, लेकिन पानी नहीं चढ़ता, तो कहीं काम अधूरा छोड़ दिया गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि घटिया निर्माण, ठेकेदारों की अनियमितता और प्रशासनिक उदासीनता के कारण परियोजना गति नहीं पकड़ पा रही है। गर्मी के मौसम में महिलाओं को आज भी कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है, जिसका असर स्वास्थ्य और बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

पुरुलिया के भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने संसद में इस मुद्दे को कई बार उठाया है और राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल किए हैं। लेकिन आम लोगों का कहना है कि केवल संसद में आवाज उठाना पर्याप्त नहीं है। उनसे उम्मीद की जाती है कि वे जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर जमीनी स्तर पर निगरानी करें और समयबद्ध तरीके से काम पूरा कराने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

इस संबंध में स्थानीय समाजसेवी शेखर महतो ने कहा कि जल जीवन मिशन को लेकर कागजों में बड़ी-बड़ी योजनाएं दिखाई जा रही हैं, लेकिन गांवों की हकीकत बिल्कुल अलग है। कई जगह नल और पाइप तो लग गए हैं, पर पानी आज तक नहीं आया। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान का खामियाजा आम ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता

   

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