ग्रामोत्धान परियोजना के माध्यम से पुष्पा ने पूरे किये सपने
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- Jun 06, 2025

हल्द्वानी, 6 जून (हि.स.)। रामनगर के छोटे से गांव उदपुरी चोपड़ा में रहने वाली पुष्पा देवी की जिंदगी कभी अत्यंत संघर्षों से भरी हुई थी। लेकिन इस सब के बाद भी अपने हौंसले के बल पर आज राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित शिवम स्वयं सहायता समूह की सदस्य पुष्पा एक नया भविष्य बुन रही हैं।
उनके अनुसार पति के अचानक निधन के बाद उनका जीवन कठिनाइयों से घिर गया, लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की राह चुनी। ऐसे में एक वक्त ऐसा भी था जब परिवार चलाने के लिए वह कभी मंदिर में खाना बनातीं तो कभी दिहाड़ी मजदूरी करती। इस समय दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी और सीमित आमदनी के कारण शिक्षा और बुनियादी जरूरतें भी किसी चुनौती से कम नहीं थीं।
लेकिन पुष्पा ने ठान लिया था कि वह अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर कुछ अलग करेंगी। पुष्पा देवी की यह राह आसान नहीं थी, लेकिन सरकार की ग्रामोत्थान परियोजना की व्यक्तिगत उद्यम गतिविधि के अंतर्गत उन्होंने 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त की। साथ ही 50000 रुपये बैंक ऋण लिया और जुट गईं अपने सपनों की बुनाई में, इसके तहत उन्होंने एक बुटीक खोली।
अपने काम में ईमानदारी व मेहनत के चलते आज, पुष्पा देवी की मासिक आय लगभग 10,000 से 15,000 रुपये तक पहुंच चुकी है। ऐसे में उनकी पहचान एक उद्यमी के रुप में बनी है, जिससे उनका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया है कि अब वह अपने बुटीक को और विस्तार देना चाहती हैं और रेडीमेड गारमेंट्स का कारोबार शुरू करने की योजना बना रही हैं।
पुष्पा देवी का भी कहना है कि यदि मेहनत, हौसला और सही मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। उनके अनुसार 'ग्रामोत्थान परियोजना ने न केवल उन्हें आर्थिक मजबूती दी, बल्कि उनके सपनों को भी नई उड़ान प्रदान की। आज वह न सिर्फ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके संघर्ष से सफलता तक का यह सफर बताता है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो, हौसले मेहनत के सामने कठिनाइयों को भी झूक कर रास्ता देना ही पड़ता है।
हिन्दुस्थान समाचार / DEEPESH TIWARI