एकाग्रता और सुमिरन से ही आत्म-साक्षात्कार संभव : सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज
- Neha Gupta
- Dec 14, 2025

जम्मू, 14 दिसंबर । साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज मिश्रीवाला में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि जब मनुष्य एकाग्रता के आनन्द को अनुभव करता है तो मन की भवाटी में भटकता नहीं है। साहिब के शब्द बहुत ही सार्थक हैं। वो कह रहे हैं कि नाम के बिना जिस भी चीज का चितंन कर रहे हो, वो काल की फाँस है। हम सब जान चुके हैं कि हमें ध्यान में बैठना है। और ध्यान को एकाग्र करने का साधन सुमिरन है। फिर भी ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा है। अगर आत्म साक्षात्कार हो जाता है तो आदमी संसार में लिप्त नहीं होगा। तब यह वहम खत्म हो जाता है कि मैं शरीर हूँ। वो शरीर को अपने वस्त्रों की तरह मानेगा। वो शरीर के सुख और दुख का भागी नहीं बनेगा। उसको सुख दुख नहीं लगेंगे। इंद्रियाँ स्वयं ही काबू हो जायेंगी। मन का जार नहीं चलेगा। काम, क्रोध का बल नहीं चलेगा। जैसे रस्सी को साँप समझ लेते हैं। पर जब पता चल जाता है कि यह रस्सी है तो फिर चाहे खुद भी डरना चाहो तो नहीं हो पायेगा।
इस तरह आत्मा को जानने के बाद- मैं शरीर हूँ, का आभास खत्म हो जाता है। फिर वो मन का अनुकरण नहीं करता है। साहिब जी ने कहा कि एक बालक कोई जिद्द करता है, पर हम उसको वो नहीं देना चाहते हैं। क्योंकि वो चीज उसके लिए हानिकारक है। इसी तरह हम प्रभु से जो चीज चाहते हैं, वो देना नहीं चाहता है। और जो वो देना चाहता है, हम लेना ही नहीं चाहते हैं। आप मत सोचना कि प्रभु आपसे दूर है। आपके अन्दर सब चीजें भरी पड़ी हैं। विवेक, ज्ञान, वैराग्य, संतोष। चाहे कितना भी मूर्ख इंसान हो, जब वो कोई गलत काम करने जाता है तो एक मूक संदेश अन्दर से आता है कि यह मत करो। इस शरीर में ज्ञान के भंडार हैं। इसमें रिद्धियाँ, सिद्धियाँ सब शक्तियाँ भरी पड़ी हैं। पर मनुष्य अज्ञानवश बाहर भटक रहा है। बस मृगा की नाभि की तरह यह मनुष्य प्रभु की तलाश में बाहर भटक रहा है। अध्यात्म बाहर भटकना नहीं है। अध्यात्म यह है कि हमारा मन कैसे काम कर रहा है, हमारी आत्मा कैसे काम कर रही है। हमारे अन्दर विरोधी शक्तियाँ कौन कौन हैं, कैसे कैसे काम कर रही हैं। यह मंथन ही अध्यात्म है। अध्यात्म कोई यात्रा नहीं है। अध्यात्म कोई परिक्रमा नहीं है। इसलिए चाहे पूरा जीवन बाहर भटकते रहोगे, प्रभु नहीं मिलने वाला है, आत्मा का साक्षात्कार नहीं होने वाला है। फिर इंसान बाहर क्यों भटक रहा है। इसका कारण है। दिव्य दृष्टि कहीं नहीं है। आपके ध्यान में है। सुमिरन से आपको ताकत मिलेगी। ध्यान में बैठना। समझ में आता जायेगा। अपने ध्यान को भटकने सो रोकना।



