धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर सिख हों एकजुट: अकाल तख्त जत्थेदार
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- Jun 06, 2025

आपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर एसजीपीसी ने भिंडरावाले के पुत्र समेत कई को किया
सम्मानित
जून 1984 में कांग्रेस का सिखों के प्रति किया गया व्यवहार कभी भुलाया नहीं जा सकेगा: एचएस धामी
चंडीगढ़, 6 जून (हि.स.)।
अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज ने कहा कि धर्म
परिवर्तन के मुद्दे पर सिख कौम को एक होना चाहिए। यह वर्ष 2002 में शुरू हुआ है। अपने लोगों को वापस लाना चाहिए।
जो इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, वह उनसे मिले हैं। उम्मीद है कि हमारे किए जा रहे प्रयासों को सफलता मिलेगी।
अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज शुक्रवार काे यहां ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी
के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। गड़गज ने कहा कि आज
कौम के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं। बंदी सिखों की बात होनी चाहिए। भाई बलवंत
सिंह राजोआना की बात हो। कौम पिछले लंबे समय से लड़ाई लड़ रही है,
लेकिन जब तक हम एक साथ होकर खालसा के झंडे के नीचे लड़ाई नहीं
लड़ेंगे, उतनी देर तक हमारे प्रयास कामयाब नहीं होंगे।
जत्थेदार ने कहा कि आज जब हम अपने
शहीदों को याद कर रहे हैं, उन शहीदों ने कौम
की रक्षा के लिए अपनी जानों की कुर्बानी दी है। हम भी मतभेद छोड़कर इकट्ठे हों। उन्होंने
कहा कि आज मैंने अरदास में भी कौम की
एकता का जिक्र किया। गुरु का संदेश क्या है, मैंने अरदास में
लोगों को याद दिलाया है। हम एक साझा परिवार हैं, आनंदपुर के
वासी हैं और सरबत के भले की सोच वाले हैं।
इस बीच अकाल तख्त साहिब पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान
हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह, एसजीपीसी के प्रधान हरजिंद्र
सिंह धामी, दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह, बुढ्ढा दल के मुखी बलबीर सिंह
96वें करोड़ी, बाबा निहाल सिंह हरियां वेलां समेत कई गणमान्य मौजूद रहे।
इस अवसर पर एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने जरनैल
सिंह भिंडरावाले के बेटे ईशर सिंह, अमरीक सिंह की बेटी बीबी सतवंत कौर, भाई मनजीत
सिंह, नछत्र सिंह के पुत्र भूपिंद्र सिंह, जन.सुबेग सिंह के भाई बेअंत सिंह समेत कई
शहीदों के परिवारों के सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर एसजीपीसी प्रधान एचएस धामी ने कहा कि
कांग्रेस हकूमत की तरफ से जून 1984 में किए अत्याचारों को कभी भुलाया नहीं जा
सकता। जब यह दुनिया रहेगी, तब तक कांग्रेस का सिखों के प्रति किया गया व्यवहार
याद किया जाएगा। हर साल जून माह के दौरान समूची सिख कौम को गहरी पीड़ा से होकर
गुजरना पड़ता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा