आत्म ज्ञान बिना सब कर्म निरर्थक: अंबालिका बाईजी

मुंबई, 3 नवंबर, (हि. स.)। मानव उत्थान सेवा समिति के संस्थापक सदगुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री हंस विजय नगर आश्रम एवरशाइन सिटी वसई पूर्व में 2 नवंबर को 125वीं हंस जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुंबई से संत समाज एवं भक्तगण एवरशाइन के वसई आश्रम पहुंचे। इस अवसर पर पूज्य अंबालिका बाई जी ने भक्त समाज को श्री हंस जी महाराज के जीवन यात्रा एवं उनका संदेश दिया।बाई जी ने बताया कि श्री कृष्ण जी ने गीता में अर्जुन को समझाते हुए कहा है कि आत्म ज्ञान बिना सब कर्म निरर्थक हैं। जब तक आप आत्म-ज्ञान प्राप्त नहीं करते, कर्म के बंधन से मुक्त नहीं होते, तब तक आपके कर्म व्यर्थ हैं। आत्म ज्ञान से ही कर्म से अनासक्ति और उससे उत्पन्न होने वाले मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आत्म-ज्ञान के माध्यम से ईश्वर की शरण में जाना ही कर्म के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है। महात्मा अंबालिका बाई जी ने श्री हंसजी महाराज की 125वीं जयंती पर संदेश दिया कि जो भक्ति में कर्म करता है, जो पवित्र आत्मा है, जो अपने मन और इंद्रियों को वश में करता है, ऐसा व्यक्ति कर्म करते हुए भी कभी नहीं बंधता। आत्मज्ञान की खोज कर उसे प्राप्त करना चाहिए, यही सच्चा रास्ता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मानव सेवा दल, शाखा कार्यकर्ताओं एवं युवाओं का विशेष सहयोग रहा।

हिन्दुस्थान समाचार / कुमार

   

सम्बंधित खबर