हेमंत सरकार शीतकालीन सत्र में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करे : नायक

रांची, 03 दिसंबर (हि.स.)। आदिवासी–मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कहा कि झारखंड विधानसभा का आगामी शीतकालीन सत्र केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राज्य की पहचान, अधिकार और भविष्य को तय करने वाला ऐतिहासिक अवसर है।

बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में नायक ने कहा कि यह सत्र झारखंड के अस्तित्व और सम्मान की लड़ाई है। 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का पारित होना झारखंडी पहचान, युवा अधिकार, रोजगार और सामाजिक न्याय से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा है। उन्होंने इस विधेयक को दोबारा विधानसभा से पारित कर केंद्र के समक्ष मजबूत तरीके से भेजने की मांग की।

नायक ने बताया कि इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि वर्षों से लंबित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर तत्काल निर्णय लिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर इस बार भी देरी हुई तो यह झारखंडवासियों के साथ अन्याय होगा और राज्य लंबे समय तक खुद को ठगा हुआ महसूस करेगा।

उन्होंने कहा कि न्यायालयों, सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में झारखंडी भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देने का निर्णय अब और नहीं टाला जाना चाहिए। इससे स्थानीय लोगों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं और न्याय तक पहुंच आसान होगी। इसके साथ ही उन्होंने भूमि विवादों, दलाली और अवैध ट्रांसफर को रोकने के लिए तत्काल झारखंड भूमि सुधार आयोग के गठन की मांग की।

सरना धर्म कोड पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इसे फिर से विधानसभा में पारित कर केंद्र को भेजा जाए, ताकि आदिवासी समाज को जनगणना में अलग पहचान मिल सके।

नायक ने संविदा, पारा, आंगनबाड़ी, होमगार्ड एवं अन्य अस्थायी कर्मचारियों के लिए स्थायी सेवा नियमावली लागू करने की मांग को लाखों परिवारों से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि इस पर और देरी अस्वीकार्य है।

अंत में उन्होंने पेसा कानून के त्वरित और प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता दोहराई।-------------

हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

   

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