भारतीय ज्ञान समस्त विश्व के लिए उपयोगी : प्रो. रामसेवक दुबे
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- Dec 01, 2025
--एमएमटीटीसी, इविवि का भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर सात दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ
प्रयागराज, 01 दिसम्बर (हि.स.)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर सात दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ सोमवार को हुआ।
यह जानकारी इविवि के मीडिया प्रभारी डॉ अमित शर्मा ने देते हुए बताया कि उद्घाटन सत्र में प्रो.प्रकाश जोशी (निदेशक, एमएमटीटीसी, इविवि) ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने भारत की समृद्ध ज्ञान परम्परा, उसके बहुआयामी स्वरूप और आधुनिक शिक्षा के संदर्भ में उसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
मुख्य वक्ता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने भारतीय ज्ञान परम्परा का वैश्विक परिप्रेक्ष्य एवं समकालीन शिक्षा में उसकी उपयोगिता पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा केवल वैदिक और पौराणिक साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विज्ञान, गणित, आयुर्वेद, योग, दर्शन और भाषा-विज्ञान जैसे अनेक क्षेत्रों को समाहित करती है। आज के समय में भारतीय ज्ञान प्रणाली को पुनः मुख्यधारा में लाना शिक्षा संस्थानों की प्राथमिक आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार ‘समग्रता’ है। जो मनुष्य के बौद्धिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक पक्षों का संतुलन बनाए रखती है। उन्होंने भारतीय ज्ञान और परम्परा तीनों शब्दों की मूल भावना पर विस्तार से प्रकाश डाला।
भारतीय ज्ञान परम्परा सप्त दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम के समन्वयक डॉ विकास शर्मा (सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, इविवि) रहे, जिन्होंने उद्घाटन सत्र का सम्यक संचालन भी किया। उन्होंने बताया कि आगामी छह दिनों में भारतीय ज्ञान परम्परा के विभिन्न आयामों पर विस्तृत शैक्षणिक संवाद आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा के सात दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रातों से 146 शिक्षक भाग ले रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र



