
गोरखपुर, 23 नवंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविन्द नायक ने शनिवार को अभाविप 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन देश-विदेश से इस अधिवेशन में प्रतिभाग कर रहे विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को 'पंच परिवर्तन के वाहक युवा' विषय पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए पहले व्यक्ति परिवर्तन करने की जरूरत है, व्यक्ति परिवर्तन से ही हम राष्ट्र को विकसित करने के विचार को साकार कर सकते हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दूसरे दिन 23 नवंबर को पंच परिवर्तन के भाव पर अपने विचार को रखते हुए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविंद नायक ने कहा कि पंच परिवर्तन का पहला तत्व है सामाजिक समरसता. देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने की जरूरत है। आज हमारे देश में 1200 से भी ज्यादा बोली और भाषा अलग-अलग हिस्सों में बोली जाती है, अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन इतनी विविधता के बावजूद हमारे अंदर एकता का भाव है।अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जो परंपराएं पुरानी हो चुकी हैं, जिनकी आज कोई जरूरत नहीं है, उनको हटाने की जरूरत है,वहीं जो परंपराएं हमारे अनुरूप हैं,उनको आगे बढ़ाने की जरूरत है। आज हमें समाज में फैली दूरियों को समाप्त कर सामाजिक समरसता को स्थापित करने की जरूरत है।उन्होंने भगवान जगन्नाथ का उदाहरण देते हुए कहा कि 'जगन्नाथ का भात, जगत का प्रसाद, न पूछे जाति न पात। हमारे व्यवहार में स्वदेशी और मजबूरी में ही विदेशी होनी चाहिए।
पर्यावरण का हो रहे दोहन पर युवाओं के सम्मुख अपनी चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि 'आज जो पर्यावरण का विषय है, यह हमारे लिए चिंतन का विषय है न कि भाषण का विषय।आज हमें 5 ज- जल, जंगल , जमीन, जानवर और जीवन के बारे में विचार करने की जरूरत है'. स्वदेशी पर उन्होंने कहा कि अगर हमें बाहर से कुछ लेने की भी जरूरत है तो अपनी शर्तों पर लें, हमारे व्यवहार में स्वदेशी और मजबूरी में विदेशी होनी चाहिए।
संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़नी चाहिए
परिवार प्रबोधन के बारे में उन्होंने कहा कि आज हम परिवार में तो रहते हैं लेकिन आपस में हमारी बात नहीं हो पाती, एक तरफ जहां हम वसुधैव कुटुंबकम की बात कर रहे हैं तो यह हमारे लिए सबसे जरूरी हो जाता है कि हमें सबसे पहले अपना परिवार देखना चाहिए. आज संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़नी चाहिए. नागरिक कर्तव्य के बारे में उन्होंने कहा कि किसी को बोलने से पहले हमें उसके लिए खुद को तैयार करना होगा. इन्हीं पंच परिवर्तन से हम सबको जीवन शुरू करना चाहिए.
हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय